लघु सिंचाई प्रमंडल के सूत्रों की माने तो उद्वह सिंचाई योजना, आहर-पईन व मध्यम सिंचाई योजना के तहत हजारों हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जाती थी। जो सिंचाई के पारंपरिक साधन रहे हैं। उद्वह सिंचाई योजना के तहत जिले में 79 योजनाएं हैं। जिसमें 74 बंद हैं। शेष पांच में भी पानी की कमी से महज 18 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हो पा रही है। मध्यम सिंचाई योजना के तहत भी सात योजनाएं संचालित हैं। जिसमें दो बंद पड़ी हैं। पांच योजनाओं में पानी नहीं मिलने से एक हेक्टेयर क्षेत्र भी सिंचित नहीं हो पाया है। तिलौथू प्रखंड के हुरका ग्राम पंचायत में छह नलकूपों में तीन बंद हैं। डेहरी नलकूप ट्रांसफार्मर जलने के कारण, लेवड़ा नलकूप बालू देने के कारण व दुधमी डिहरी नलकूप यांत्रिक व विद्युत दोष के कारण बंद है।
आरटीआई कार्यकर्ता कुमार रविरंजन सिंह की माने तो अन्य तीन नलकूपों की स्थिति और भी बदतर है। जिससे सिंचाई कार्य नहीं के बराबर है।
कहते हैं किसान : रोहतास प्रखंड के उचैला ग्राम निवासी किसान कमला कुशवाहा की माने तो उद्वह सिंचाई से ही खेत लहलहाते थे। आज बंद होने से खेतों में हरियाली दूर हो गई है।
नौहट्टा प्रखंड के दारानगर निवासी गजेंद्र प्रताप सिंह कहते हैं कि ताल, पोखर, आहर-पईन समाप्त होने से खेतों में पटवन की समस्या उत्पन्न हो गई है।
कहते हैं अधिकारी :
लघु सिंचाई प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता ने कहा कि जल स्त्रोतों के अतिक्रमित होने व जल स्तर तेजी से घटने के कारण मध्यम व उद्वह सिंचाई योजनाएं बंद हो रही है। इसे फिर से दुरुस्त करने के लिए गांव-गांव में जल संरक्षण नीति बनानी चाहिए।
जिला कृषि पदाधिकारी वेकेंटेश नारायण सिंह ने बताया कि तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए जिला टास्क फोर्स की बैठक में प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया गया है।
क्या है उद्वह सिंचाई योजना : वर्षा जल व पहाड़ी क्षेत्रों से आने वाले जल को संग्रहित कर सिंचाई के प्रयोग में लगाया जाता है। इसके लिए बरसाती नदियों में बहने वाले पानी को बांध कर जल संग्रहण किया जाता है।
पांच वर्ष पूर्व सिंचाई हेक्टेयर में
संसाधन हेक्टेयर
तालाब + कुंआ 3879
नहर 2,26,749
विद्युत पंप + ट्यूवबेल 42252
कुल 272880
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वर्तमान में सिंचाई हेक्टेयर में
संसाधन हेक्टेयर
तालाब + कुंआ 4584
नहर 161000
विद्युत पंप + ट्यूवबेल 21700
लिफ्ट सिंचाई 485
कुल 187769
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