मिसाइल मैन पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का ग्लोबल विलेज का सपना जिले में धरातल पर उतरने से पूर्व ही दम तोड़ रहा है. राष्ट्रीय इ गवर्नेंस योजना के तहत चार साल पहले शुरू हुई सहज वसुधा केंद्र पर अब तक सरकारी कार्य का निष्पादन भी शुरू नहीं हुआ है. इस कारण अधिकांश केंद्र संचालक की ओर्थक स्थिति लचर हो गयी है.
आरटीइ पर सवाल
15 अगस्त से शुरू होने वाली राइट टू सर्विस एक्ट ने वसुधा केंद्र के
अस्तित्व पर सवाल खड़ा कर दिया है.उल्लेखनीय है कि राइट टू सर्विस एक्ट के
तहत सभी सरकारी सुविधाओं की जानकारी ऑन लाइन की जा रही है. इसके अंतर्गत
प्रखंड मुख्यालय में ही लोगों को सभी जानकारी मिल जायेगी. इस स्थिति में
वसुधा केंद्र की उपयोगिता ही समाप्त हो जायेगी.क्या है वसुधा केंद्र
वसुधा केंद्र के माध्यम से सभी सरकारी प्रमाण पत्रों के अलावा पंचायत स्तर की सभी योजनाओं के कार्य व खर्च की गयी राशि का ब्योरा तैयार करना है. सरकार के निर्देशानुसार प्रत्येक वसुधा केंद्र से हर महीने 65 हजार रुपये तक डाटा ट्रांजेक्शन किया जाना है, लेकिन अब तक किसी वसुधा केंद्र में फूटी कौड़ी का काम नहीं हुआ.
कर्ज में डूबे संचालक
प्रशासनिक उदासीनता के कारण वसुधा केंद्र संचालक कर्ज में डूब गये हैं. संचालक के घर बैंक वाले नोटिस भेज रहे हैं. बता दें कि वसुधा केंद्र के लिए संचालकों को एक लाख 20 हजार बैंक लोन मिला था. इसके अलावा एक -दो लाख की पूंजी लोगों ने खुद लगायी थी. काम शुरू नहीं होने के कारण बैंक लोन भी चुकता नहीं हो पा रहा है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री व वैशाली के सांसद रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि वसुधा केंद्र ग्रामीण क्षेत्रों के लिए काफी लाभकारी है. जिला प्रशासन को पत्र लिख कर इसे अविलंब चालू करने को कहा जायेगा.
काम का ब्योरा
मुख्यमंत्री के जनता दरबार से लेकर, रेलवे रिजर्वेशन, जमीन की जानकारी, जन्म प्रमाणपत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र, इंटरनेट सेवा, कृषि पशुपालन, बैंकिग इंश्योरेंस, मनरेगा योजना, डिजिटल फोटोग्राफी सहित दर्जनों काम इसके माध्यम से होने थे.
- प्रभात कुमार - की रिपोर्ट

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