Updated on: Wed, 09 Nov 2011 http://www.jagran.com/bihar/bhagalpur-8462538.html
राम प्रकाश गुप्ता, भागलपुर : स्वरोजगार को बढ़ावा देने और आम आदमी को प्रखंड कार्यालय के चक्कर से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से जिले की 202 पंचायतों में वसुधा केंद्र की स्थापना की गई थी। आज इन केंद्रों के संचालक इंटरनेट का संचालन करने के बदले झुनझुना बजा रहे हैं। इनकी पूंजी फंस गई है। अब पेट भरने के लिए संचालक दूसरा रोजगार ढूंढ़ रहे हैं। जिले में बेल्ट्रोन और जूम डेवलपर्स के सहयोग से केंद्रों की स्थापना की गई थी।
'' केंद्रों की स्थापना का उद्देश्य आम आदमी को राहत पहुंचाना था। सूचना व प्रोद्यौगिकी विभाग के निर्देश पर केंद्र तो खोले गए लेकिन सरकार ने अभी तक सेवा के विरुद्ध शुल्क का भी निर्धारण नहीं किया। कई केंद्रों में संचालकों ने अपनी अलग से आधारभूत संरचना विकसित कर जीविका का उपाय निकाला है। ''
प्रदीप कुमार यादव, जिला अध्यक्ष, वसुधा केंद्र संचालक संघ।
'' वसुधा के कुछ संचालकों ने गत दिनों उनसे मुलाकात की थी। इन केंद्रों का कैसे उपयोग किया जाए, इसकी चिंता वे कर रहे हैं। बीडीओ से रिपोर्ट मांगी गई है कि उनके प्रखंड में कहां-कहां केंद्र संचालित हैं। संचालकों को घबराने की जरूरत नहीं है। उनके उद्देश्य की पूर्ति होगी। ''
गजानन मिश्र, उप विकास आयुक्त
केंद्र का क्या था उंद्देश्य
सबौर स्थित सरधो के संचालक मनीष कुमार कहते हैं कि 2008 में वसुधा केंद्र खोला गया। इसके लिए 25 हजार का डीडी जूम डेवलपर्स को दिया गया। इसके बदले मॉनीटर, सीपीयू, सोलर प्लेट, इनवर्टर, प्रिंटर और वेब कैमरा मिला। उद्देश्य था हर केंद्र को इंटरनेट से जोड़ना। इससे लोगों को किसी कार्य के लिए सीधे प्रखंड कार्यालय नहीं जाना पड़ता। केंद्र के माध्यम से ही दाखिल-खारिज, आय, आवासीय, जाति प्रमाण पत्र, वोटर आईकार्ड बनने थे। केंद्र के इंटरनेट से बीडीओ को ईमेल भेजकर आवेदन देना था। बीडीओ द्वारा प्रमाण पत्र तैयार कराकर ईमेल से ही निर्धारित अवधि में वापस करना था। इसके एवज में सरकार ने निर्धारित शुल्क लेने को कहा था लेकिन तीन वर्ष में यह तय नहीं हो पाया।
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