विद्रोही स्वभाव,अन्याय से लड़ने की इच्छा, वसुधा केंद्र संचालक एवं लोगों की मदद करने में स्व:आनंद ! निरीहता, कुछ मांगना, झूठ बोलना और डर कर किसी के आगे सिर झुकना हमें पसंद नहीं ! ईश्वर अन्तिम समय तक इतनी शक्ति एवं सामर्थ्य दे, कि जरूरतमंदो के काम आता रहूँ , भूल से भी किसी का दिल न दुखाऊँ ! रुचियाँ - जिनका कोई न हो उनकी मदद करना,सामाजिक ढकोसलों और दिखावे से दूर, फोटोग्राफी , पढना और लिखना, जीवन को हँसना सिखाना, Kumar Ravi Ranjan ( Spoke person), CSCAssociation, Bihar- 9934060241
Wednesday, December 18, 2013
Monday, December 9, 2013
Wednesday, December 4, 2013
CM wants Vasudha to scan projects
THE TIMES OF INDIA
Aug 27, 2008, 02.59am IST
PATNA:
Chief minister Nitish Kumar has suggested the monitoring of government
projects in rural areas by the Vasudha e-Seva Kendra or Common Service
Centre (CSC). He said it will help the government and also the people
and the viability of Vasudha, a private-public partnership, will also be
enhanced.
He was speaking here on Tuesday after inaugurating the first ever e-Seva Kendra at Panapur through video conferencing. "This system could serve as third party inspection or independent information channel. It will also be a source of information as well as a channel of development," he said, recalling that when he took over nearly three years back there was nothing in the state in the name of information technology.
He was speaking here on Tuesday after inaugurating the first ever e-Seva Kendra at Panapur through video conferencing. "This system could serve as third party inspection or independent information channel. It will also be a source of information as well as a channel of development," he said, recalling that when he took over nearly three years back there was nothing in the state in the name of information technology.
Set up under the National e-Governance Plan by SREI-Sahaj, which
promotes rural enterpreneurship, nearly 25,000 CSCs would be set up in
six states, including Bihar, West Bengal, Uttar Pradesh, Orissa and
Tamil Nadu. In Bihar's 27 districts, 5,540 CSCs will be opened.
Nitish said the CSCs will supply rural people information regarding weather and prices of the commodities. He said it is his thinking that the monitoring of government projects like school building, roads, health sub-centres, Indira Awas, NREGA and MPLAD could be done by these centres.
Deputy CM Sushil Kumar Modi said it is a pleasant surprise that in such a short period the e-centre has been opened. He said the finance department has bid adieu to the paper file and now all the new files are opened on computer. This practice will be emulated in other department soon. Also the e-tendering and e-contract system has also been introduced.
Former SEBI chief M Damodran said the 25,000 CSCs will cover 21 crore rural population and will help give people technology and confidence. Punjab National Bank CMD K C Chakraborty said this is a self-employment scheme and PNB apart from financial assistance to CSCs will also provide banking service through them. He said PNB has 800 branches in Bihar and its reach will be further extended through these e-service kendras.
Times of India
Nitish said the CSCs will supply rural people information regarding weather and prices of the commodities. He said it is his thinking that the monitoring of government projects like school building, roads, health sub-centres, Indira Awas, NREGA and MPLAD could be done by these centres.
Deputy CM Sushil Kumar Modi said it is a pleasant surprise that in such a short period the e-centre has been opened. He said the finance department has bid adieu to the paper file and now all the new files are opened on computer. This practice will be emulated in other department soon. Also the e-tendering and e-contract system has also been introduced.
Former SEBI chief M Damodran said the 25,000 CSCs will cover 21 crore rural population and will help give people technology and confidence. Punjab National Bank CMD K C Chakraborty said this is a self-employment scheme and PNB apart from financial assistance to CSCs will also provide banking service through them. He said PNB has 800 branches in Bihar and its reach will be further extended through these e-service kendras.
Times of India
सरकार की उपेक्षा से गोलबंद हुए वसुधा केंद्र संचालक
बेतिया,
नगर संवाददाता : बिहार सरकार के उपेक्षापूर्ण रवैये को लेकर सभी वसुधा
केंद्र संचालकों ने एक बैठक का आयोजन स्थानीय सागर पोखरा शिव मंदिर में
किया। विषय वस्तु के आलोक में सरकार के द्वारा कोई भी सरकारी-गैर सरकारी
कार्य नहीं मिलने के कारण वसुधा केंद्र संचालकों द्वारा सरकार के उदासीन
रवैये के विरूद्ध रोष प्रकट किया गया। साथ ही जिला स्तरीय कमेटी वसुधा
केंद्र संचालक संघ का गठन किया गया। संघ के जिलाध्यक्ष सरफराज अहमद, जिला
उपाध्यक्ष अरूण कुमार राय, जिला सचिव पन्नालाल कुशवाहा का सर्वसम्मति से
चयन किया गया। बैठक में सुनील कुमार, अनवर हुसैन, अनंत राय, रोहित राय,
जैनेंद्र कुमार, मनोज कुमार, अमरेंद्र कुमार सिंह, जितेंद्र प्रसाद, उमर
फारूक, रंजन कुमार राय, सद्रे आलम, अभय कुमार तिवारी, मनोज कुमार झा आदि
लोगों की उपस्थिति रही। बैठक में निर्णय लिया गया कि संघ की आगामी बैठक 5
मई को सागर पोखरा शिव मंदिर के प्रांगण में ही होगी जिसमें आगे की रणनीति
तय की जाएगी।
Tuesday, December 3, 2013
बिहार का मॉडल केंद्र बना हुरका का वसुधा केंद्र
Monday, November 18, 2013
Tuesday, November 12, 2013
शक होता रहेगा........!
एक लड़का और लड़की साथ में खेल रहे थे. लड़के के पास बहुत सुंदर कंचे थे. लड़की के पास कुछ टॉफियां थीं.लड़के ने लड़की से कहा कि वह टॉफियों के बदले में अपने सारे कंचे लड़की को दे देगा. लड़की मान गई.लेकिन लड़के ने चुपके से सबसे खूबसूरत दो-तीन कंचे दबा लिए और बाकी कंचे लड़की को दे दिए. बदले में लड़की ने अपनी सारी टॉफियां लड़के को दे दीं.उस रात लड़की कंचों को निहारते हुए खुशी से सोई. लेकिन लड़का इसी सोच में डूबा रहा कि कहीं लड़की ने भी चालाकी करके उससे कुछ टॉफियां तो नहीं छुपा लीं!सीखः यदि तुम किसी रिश्ते में सौ-फीसदी ईमानदार नहीं रहोगे तो तुम्हें अपने साथी पर हमेशा शक होता रहेगा.
Monday, November 11, 2013
संसार के साथ व्यवहार
लाओ-त्ज़ु
ने एक बार मछली पकड़ना सीखने का निश्चय किया। उसने मछली पकड़ने की एक छड़ी
बनाई, उसमें डोरी और हुक लगाया। फ़िर वह उसमें चारा बांधकर नदी किनारे मछली
पकड़ने के लिए बैठ गया। कुछ समय बाद एक बड़ी मछली हुक में फंस गई। लाओ-त्ज़ु
इतने उत्साह में था की उसने छड़ी को पूरी ताक़त लगाकर खींचा। मछली ने भी
भागने के लिए पूरी ताक़त लगाई। फलतः छड़ी टूट गई और मछली भाग गई।
लाओ-त्ज़ु
ने दूसरी छड़ी बनाई और दोबारा मछली पकड़ने के लिए नदी किनारे गया। कुछ समय
बाद एक दूसरी बड़ी मछली हुक में फंस गई। लाओ-त्ज़ु ने इस बार इतनी धीरे-धीरे
छड़ी खींची कि वह मछली लाओ-त्ज़ु के हाथ से छड़ी छुडाकर भाग गई।
लाओ-त्ज़ु
ने तीसरी बार छड़ी बनाई और नदी किनारे आ गया। तीसरी मछली ने चारे में मुंह
मारा। इस बार लाओ-त्ज़ु ने उतनी ही ताक़त से छड़ी को ऊपर खींचा जितनी ताक़त
से मछली छड़ी को नीचे खींच रही थी। इस बार न छड़ी टूटी न मछली हाथ से गई।
मछली जब छड़ी को खींचते-खींचते थक गई तब लाओ-त्ज़ु ने आसानी से उसे पानी के
बाहर खींच लिया।
उस
दिन शाम को लाओ-त्ज़ु ने अपने शिष्यों से कहा - "आज मैंने संसार के साथ
व्यवहार करने के सिद्धांत का पता लगा लिया है। यह समान बलप्रयोग करने का
सिद्धांत है। जब यह संसार तुम्हें किसी ओर खींच रहा हो तब तुम समान
बलप्रयोग करते हुए दूसरी ओर जाओ। यदि तुम प्रचंड बल का प्रयोग करोगे तो तुम
नष्ट हो जाओगे, और यदि तुम क्षीण बल का प्रयोग करोगे तो यह संसार तुमको
नष्ट कर देगा।"
Sunday, November 10, 2013
:: प्रेरक प्रसंग :: किसान का गधा......!
:: प्रेरक प्रसंग :: किसान का गधा
वह गधा घंटों ज़ोर - ज़ोर से रोता रहा और किसान सुनता रहा और विचार करता
रहा कि उसे क्या करना चाहिऐ और क्या नहीं। अंततः उसने निर्णय लिया कि चूंकि
गधा काफी बूढा है,अतः उसे बचाने से कोई लाभ होने वाला नहीं था;और इसलिए
उसे कुएँ में ही दफना देना चाहिऐ। किसान ने अपने सभी पड़ोसियों को मदद के
लिए बुलाया। सभी ने एक-एक फावड़ा पकड़ा और कुएँ में मिट्टी डालनी शुरू कर दी।
जैसे ही गधे कि समझ में आया कि यह क्या हो रहा है ,वह और ज़ोर-ज़ोर से
चीख़ चीख़ कर रोने लगा । ...
और फिर ,अचानक वह आश्चर्यजनक रुप से
शांत हो गया। सब लोग चुपचाप कुएँ में मिट्टी डालते रहे। तभी किसान ने कुएँ
में झाँका तो वह आश्चर्य से सन्न रह गया। अपनी पीठ पर पड़ने वाले हर फावड़े
की मिट्टी के साथ वह गधा एक आश्चर्यजनक हरकत कर रहा था। वह हिल-हिल कर उस
मिट्टी को नीचे गिरा देता था और फिर एक कदम बढ़ाकर उस पर चढ़ जाता था।
जैसे-जैसे किसान तथा उसके पड़ोसी उस पर फावड़ों से मिट्टी गिराते वैसे -वैसे
वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को गिरा देता और एस सीढी ऊपर चढ़ आता । जल्दी ही
सबको आश्चर्यचकित करते हुए वह गधा कुएँ के किनारे पर पहुंच गया और फिर
कूदकर बाहर भाग गया।
ध्यान रखो ,तुम्हारे जीवन में भी तुम पर बहुत तरह कि मिट्टी फेंकी जायेगी ,बहुत तरह कि गंदगी तुम पर गिरेगी। जैसे कि
,तुम्हे आगे बढ़ने से रोकने के लिए कोई बेकार में ही तुम्हारी आलोचना करेगा,कोई तुम्हारी सफलता से ईर्ष्या के कारण
तुम्हे बेकार में ही भला बुरा कहेगा।कोई तुमसे आगे निकलने के लिए ऐसे
रास्ते अपनाता हुआ दिखेगा जो तुम्हारे आदर्शों के विरुद्ध होंगे। ऐसे में
तुम्हे हतोत्साहित होकर कुएँ में ही नहीं पड़े रहना है बल्कि साहस के साथ
हिल-हिल कर हर तरह कि गंदगी को गिरा देना है और उससे सीख लेकर,उसे सीढ़ी
बनाकर,बिना अपने आदर्शों का त्याग किये अपने कदमों को आगे बढ़ाते जाना है।
अतः याद रखो !जीवन में सदा आगे बढ़ने के लिए
१)नकारात्मक विचारों को उनके
विपरीत सकारात्मक विचारों से
विस्थापित करते रहो।
२)आलोचनाओं से विचलित न
हो बल्कि उन्हें उपयोग में लाकर
अपनी उन्नति का मार्ग प्रशस्त करो
Sunday, October 27, 2013
VLE CCC Examination
Dear VLEs Brother,
The tentative date for VLE CCC Examination would be from 9th November to 20th November,
2013. The Admit card will be uploaded on NIELIT website during the
first week of November, 2013 (after 4th November, 2013). We would inform
you once it is available on NIELIT website. Kindly start preparing for
the examination.
All the best!
Best regards
Monday, October 14, 2013
गोबर गैस से चलने वाला बहुउद्देशीय वाहन
जयपुर.
! इंजीनियंरिग कॉलेज मे पढ रहे विद्यार्थियों ने कृषकों के लिये गोबर
गैस से चलने वाला बहुउद्देशीय वाहन ईजाद किया है। इस तिपहिया वाहन को नाम
दिया है मल्टीपल ट्राय साइकिल।
पुराने दुपहिया वाहन के 100 सीसी इंजन
की सहायता से निर्मित यह वाहन गोबर गैस से चलता है। यही वजह है कि खेत
खलिहान में काम करने वाला किसान यदि गोबर गैस का छोटा सा प्लांट भी लगा ले
तो वह बिना कुछ खर्च किये वाहन की सवारी कर सकता है। जयपुर के कूकस स्थित
आर्या इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों ने बताया कि बहुउद्देशीय इस तिपहिया
वाहन से किसान दो क्विंटल तक खाद्यान्न-दूध अथवा सब्जियां खेत से मंडी तक
परिवहन कर सकता है। इस पर लगे आधा इंची पंपसेट से सिंचाई कर सकता है।
बिलौना कर घी निकाल सकता है और अल्टरनेटर लगाकर रोशनी कर सकता है। ईजाद की
गई इस ट्राय साइकिल का इंजन स्टार्ट करने के लिए मात्र 50 पैसे का पेट्रोल
खर्च होता है। इंजन के चलते ही पेट्रोल का बटन बंद कर गोबर गैस के ढाई
लीटर क्षमता के सिलेण्डर से निकलने वाली गैस से इंजन अपनी पूरी क्षमता से
काम करने लगता है। जयपुर के बिडला सभागार मे चल रहे ऑटो फेयर मे मैकेनिकल
विषय के छात्रो ने इस ट्राय साइकिल को प्रदर्शन के लिये रखा है। छात्रों
का कहना है कि इसे तैयार करने मे करीब 13 हजार रुपये की लागत आई है। यदि
बडे पैमाने पर इसका निर्माण किया जाये तो लागत आठ हजार रुपये ही आयेगी।
इसकी खासियत यह है कि किसान को न तो तेल, पेट्रोल अथवा डीजल खरीदने पर पैसा
खर्च करना पडेग़ा और न ही उसे मरम्मत के लिये मिस्त्री के चक्कर लगाने
होगे। बायोगैस से संचालित होने से पर्यावरण भी प्रदूषित नहीं होगा।
Saturday, June 22, 2013
रामायण का मंचन
कांस्टेबल (भागते हुए आया) जेलर से- सर कल रात जेल के सभी कैदियो नेँ रामायण का मंचन किया
जेलर- ये तो बड़ी अच्छी बात है इसमे इतना परेशान होने वाली क्या बात है?
कांस्टेबल- सर परेशान होने वाली बात ये है कि
हनुमान बना कैदी अब तक संजीवनी लेकर वापस नही आया
जेलर- ये तो बड़ी अच्छी बात है इसमे इतना परेशान होने वाली क्या बात है?
कांस्टेबल- सर परेशान होने वाली बात ये है कि
हनुमान बना कैदी अब तक संजीवनी लेकर वापस नही आया
हिंदू सदा से प्रकृति पूजक
हम
हिंदू सदा से प्रकृति पूजक रहे हैं... हमारे पूर्वज बेवकूफ नहीं थे जो
वृक्ष, पर्वत, नदी, समुद्र या भूमि की पूजा करते थे.. चाहे औषधीय पौधा
तुलसी हो, या सर्वाधिक प्राणवायु देने वाला वृक्ष पीपल हो, गिरिराज गोवर्धन
हो या प्राणदायिनी माँ गंगा और यमुना हो या दूध रुपी अमृत से हमारा पालन
करने वाली गाय हो.... ईश्वर की हर कृति को उसका वरदान माना.. जड में भी
प्राण-प्रतिष्ठा कर उसमें चेतना का संचार किया....
लेकिन हमने क्या किया??
आधुनिकता और विकास के नाम पर प्रकृति के साथ खिलवाड किया... जंगलों को काटा .. नदियों को प्रदूषित किया.. बांध बनाकर उनकी अविरल धारा को रोकने की चेष्टा की... हमेशा प्रकृति के साथ अधोषित युद्ध किया...
लेकिन अब देखो प्रकृति का तांडव... उत्तराखंड में यमुना- गंगा का वेग इसका उदाहरण है... मानव को ये नहीं भूलना चाहिये कि वो प्रकृति के सामने आज भी असहाय है... भूकंप, सुनामी, अतिवृष्टि और अनावृष्टि हमारी करनी का ही फल है... इसका साथ दोगे तो ये तुम्हारा साथ देगी.. वरना ... तुम्हारी सारी तकनीकी, मिसाइल, परमाणु बम, सब बेकार हैं... .............................. ........
अब तो प्रकृति के साथ खिलवाड बंद करो ......
लेकिन हमने क्या किया??
आधुनिकता और विकास के नाम पर प्रकृति के साथ खिलवाड किया... जंगलों को काटा .. नदियों को प्रदूषित किया.. बांध बनाकर उनकी अविरल धारा को रोकने की चेष्टा की... हमेशा प्रकृति के साथ अधोषित युद्ध किया...
लेकिन अब देखो प्रकृति का तांडव... उत्तराखंड में यमुना- गंगा का वेग इसका उदाहरण है... मानव को ये नहीं भूलना चाहिये कि वो प्रकृति के सामने आज भी असहाय है... भूकंप, सुनामी, अतिवृष्टि और अनावृष्टि हमारी करनी का ही फल है... इसका साथ दोगे तो ये तुम्हारा साथ देगी.. वरना ... तुम्हारी सारी तकनीकी, मिसाइल, परमाणु बम, सब बेकार हैं... ..............................
अब तो प्रकृति के साथ खिलवाड बंद करो ......
सरकार सभी के बारे में सोचती है!
सरकार सबकी है औरसभी के बारे में सोचती है!
किसी को सस्ती गेहूं, सस्ते चावल...
तो किसी को सस्ता 2जी स्पेक्ट्रम, सस्ती कोयला खदानें देती है!
hai ..... na
किसी को सस्ती गेहूं, सस्ते चावल...
तो किसी को सस्ता 2जी स्पेक्ट्रम, सस्ती कोयला खदानें देती है!
hai ..... na
गैरो को भला क्या समझाते,
गैरो को भला क्या समझाते, जब अपनो ने हमे समझा ही नही...
देश मे महिलाओ की अस्मत को तार-तार करने मे कोई गैर नही बल्कि उनके अपने सगे सम्बन्धी और जान पहचान के लोग ही है, यह चौकाने वाला तथ्य राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के ताजा आँकड़ो से सामने आया है
ये आँकड़े बताते है कि वर्ष 2012 मे बलात्कार के करीब 98% मामलो मे आरोपी पीड़ित महिलाओ के परिचित ही थे, वर्ष 2012 के दौरान भारतीय दण्ड विधान की धारा 376 के तहत बलात्कार के कुल 24923 मामले दर्ज किये गये,इनमे से 24470 मामलो मे आरोपी पीड़ित महिलाओ के परिचित थे, यानि हर 100 मामलो मे से 98 मे महिलाए अपने जानने वालो के ही हवस का शिकार बनी इनमे महिलाओ के परिजन, रिश्तेदार और पड़ोसी शामिल है,
अब सवाल ये उठता है कि आखिर हमारे समाज मे इतनी विकृति मानसिकता फैली कहाँ से? हमारे संस्कृति की मान्यताओ के अनुसार अपनी बहन बेटियो के प्रति हमारे हृदय मे जो सम्मान भाव निष्ठा स्नेह व कर्तव्यपरायणता होनी चाहिए वो कहाँ लुप्त होती जा रही है? असल मे ये उसी बाजारवाद की उपज है जिसमे कपड़े से लेकर खाने पीने तक की हर वस्तु मे स्त्री को भोग्या के रुप मे परोसा जा रहा है,लानत है ऐसी वैश्विक और विकसित मानसिकता पर जो रिश्तो की मर्यादा को तार-तार करके अपनी हवस की भूख मिटाने को प्रेरित करता है और मै थूकता हूँ ऐसे लोगो पर जो इस पाश्विक मानसिकता को बढ़ावा देते है और उन लोगो पर भी जो बिना सोचे समझे इस पाश्विक मानसिकता को अपनाते जा रहे हैँ
देश मे महिलाओ की अस्मत को तार-तार करने मे कोई गैर नही बल्कि उनके अपने सगे सम्बन्धी और जान पहचान के लोग ही है, यह चौकाने वाला तथ्य राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के ताजा आँकड़ो से सामने आया है
ये आँकड़े बताते है कि वर्ष 2012 मे बलात्कार के करीब 98% मामलो मे आरोपी पीड़ित महिलाओ के परिचित ही थे, वर्ष 2012 के दौरान भारतीय दण्ड विधान की धारा 376 के तहत बलात्कार के कुल 24923 मामले दर्ज किये गये,इनमे से 24470 मामलो मे आरोपी पीड़ित महिलाओ के परिचित थे, यानि हर 100 मामलो मे से 98 मे महिलाए अपने जानने वालो के ही हवस का शिकार बनी इनमे महिलाओ के परिजन, रिश्तेदार और पड़ोसी शामिल है,
अब सवाल ये उठता है कि आखिर हमारे समाज मे इतनी विकृति मानसिकता फैली कहाँ से? हमारे संस्कृति की मान्यताओ के अनुसार अपनी बहन बेटियो के प्रति हमारे हृदय मे जो सम्मान भाव निष्ठा स्नेह व कर्तव्यपरायणता होनी चाहिए वो कहाँ लुप्त होती जा रही है? असल मे ये उसी बाजारवाद की उपज है जिसमे कपड़े से लेकर खाने पीने तक की हर वस्तु मे स्त्री को भोग्या के रुप मे परोसा जा रहा है,लानत है ऐसी वैश्विक और विकसित मानसिकता पर जो रिश्तो की मर्यादा को तार-तार करके अपनी हवस की भूख मिटाने को प्रेरित करता है और मै थूकता हूँ ऐसे लोगो पर जो इस पाश्विक मानसिकता को बढ़ावा देते है और उन लोगो पर भी जो बिना सोचे समझे इस पाश्विक मानसिकता को अपनाते जा रहे हैँ
तो समाज कितना अच्छा होता
लड़कियोँ
की पोस्ट पर अनगिनत लाईक कमेँट देखकर अहसास हुआ कि जितना प्यार और सम्मान
लड़कियों को फेसबुक पर मिलता है, काश.. समाज में उसका एक प्रतिशत
भी मिल पाता ......तो समाज कितना अच्छा होता
भी मिल पाता ......तो समाज कितना अच्छा होता
बैशाखी चोर विदेशमंत्री
बैशाखी चोर विदेशमंत्री
सलमान खुर्शीद ईराक में जाकर इराक को दो करोड़ डालर देने, २०० बसे, पचास
रेल इंजन, दो हास्पिटल खोलने का एलान करता है ..
और
प्रधानमंत्री राहत कोष बनाकर भीखमांग रह1 है .. हर चैनेल पर कहा जा रहा है की कृपया उत्तराखंड बाढ़ पीड़ित राहत कोष में दान दे ....
This kind people called as a DESH BHAKT.
और
प्रधानमंत्री राहत कोष बनाकर भीखमांग रह1 है .. हर चैनेल पर कहा जा रहा है की कृपया उत्तराखंड बाढ़ पीड़ित राहत कोष में दान दे ....
This kind people called as a DESH BHAKT.
अपना मुंह बंद रखना
एक
बार एक छोटी चिड़िया सर्दी में साउथ पोल की तरफ उड़ कर जा रही थी , ठंड इतनी
ज्यादा थी की उससे सहन नही हुई और खून जम जाने से वो वहीँ एक मैदान में गिर
गयी ......
वहां पर एक गाय ने आकर उसके ऊपर गोबर कर दिया , गोबर के नीचे दबने के बाद उस चिड़िया को एहसास हुआ की उसे दरअसल
उस गोबर के ढेर में गर्मी मिल रही थी , लगातार गर्माहट के एहसास ने उस छोटी चिड़िया को सुकून से भर दिया और उसने गाना गाना शुरू कर दिया .....
वहां से निकल रही एक बिल्ली ने उस गाने की आवाज़ सुनी और देखने लगी की ये आवाज़ कहाँ से आ रही है ,थोड़ी देर बाद उसे एहसास हुआ की ये आवाज़ गोबर के ढेर के अंदर से आ रही है , उसने गोबर का ढेर खोदा और उस चिड़िया को बाहर निकाला और उसे खा गयी .....:((
मॉरल - आपके ऊपर गंदगी फेंकने वाला हर इंसान आपका दुश्मन नही होता ,और आपको उस गंदगी में से बाहर निकलने वाला हर इंसान आपका दोस्त नही होता ...और सबसे बड़ी बात
.
.
जब आप गंदगी में दबे पड़े हों तो अपना मुंह बंद रखना ही बेहतर है.. !
वहां पर एक गाय ने आकर उसके ऊपर गोबर कर दिया , गोबर के नीचे दबने के बाद उस चिड़िया को एहसास हुआ की उसे दरअसल
उस गोबर के ढेर में गर्मी मिल रही थी , लगातार गर्माहट के एहसास ने उस छोटी चिड़िया को सुकून से भर दिया और उसने गाना गाना शुरू कर दिया .....
वहां से निकल रही एक बिल्ली ने उस गाने की आवाज़ सुनी और देखने लगी की ये आवाज़ कहाँ से आ रही है ,थोड़ी देर बाद उसे एहसास हुआ की ये आवाज़ गोबर के ढेर के अंदर से आ रही है , उसने गोबर का ढेर खोदा और उस चिड़िया को बाहर निकाला और उसे खा गयी .....:((
मॉरल - आपके ऊपर गंदगी फेंकने वाला हर इंसान आपका दुश्मन नही होता ,और आपको उस गंदगी में से बाहर निकलने वाला हर इंसान आपका दोस्त नही होता ...और सबसे बड़ी बात
.
.
जब आप गंदगी में दबे पड़े हों तो अपना मुंह बंद रखना ही बेहतर है.. !
Monday, June 17, 2013
joke
कांस्टेबल (भागते हुए आया) जेलर से- सर कल रात जेल के सभी कैदियो नेँ रामायण का मंचन किया
जेलर- ये तो बड़ी अच्छी बात है इसमे इतना परेशान होने वाली क्या बात है?
कांस्टेबल- सर परेशान होने वाली बात ये है कि
हनुमान बना कैदी अब तक संजीवनी लेकर वापस नही आया
Dont LaUgh...... :-)
chunchunairtel@gmail.com
Tuesday, June 11, 2013
Wednesday, May 22, 2013
Tuesday, May 21, 2013
Tuesday, May 14, 2013
Wednesday, May 8, 2013
Wednesday, May 1, 2013
पंचायतों में ‘वसुधा केन्द्र’
First Published:01-06-11 12:46 AM
पटना, हिन्दुस्तान ब्यूरो। ‘ग्रामीण इलाकों में बस माउस क्लिक करने से कृषि समेत तमाम चीजों की जानकारी आसानी से सुलभ हो जाएगी। किसी विभाग में आवेदन करने और पहले से दिए आवेदन की अद्यतन जानकारी भी आसानी से मिल सकेगी।’ ऐसी तमाम सुविधाओं को मुहैया कराने के लिए राज्य सरकार ने सभी 8463 पंचायतों में ‘वसुधा केन्द्र’ नामक कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) की स्थापना करने की घोषणा 2009 में की थी।
11वीं पंचवर्षीय योजना में ही इन केन्द्रों को स्थापित कर सारे जिलों को ई-जिला बनाने की कवायद शुरू की गई थी। परंतु 12वीं पंचवर्षीय योजना आने के पहले ही इस योजना का दम निकलता नजर आ रहा है। हालत यह है कि अभी तक राज्य की 8463 पंचायतों में महज 6200 पंचायतों में ही वसुधा केन्द्र स्थापित हो पाएं हैं। इस वजह से 2015 तक राज्य के सुदूर पंचायती क्षेत्रों में सूचना प्रौद्योगिकी की लहर पहुंचाने की कवायद धूमिल पड़ती दिख रही है।कई कारण हैं असफल होने के वसुधा केन्द्रों के संचालन का जिम्मा बेल्ट्रान को सौंपा गया था।
बेलट्रान ने एक कंपनी को इन केन्द्रों को चलाने का जिम्मा दिया था। परंतु कम्प्यूटर समेत तमाम सामान की सप्लाई में गड़बड़ी की वजह से सितम्बर 2010 में बेलट्रान ने इसे टरमिनेट कर दिया। इसके बाद से किसी को इसके संचालन की जिम्मेवारी नहीं सौंपी गई है। बेलट्रान से मिली जानकारी के अनुसार, कई सुदूरवर्ती पंचायतों में बीएसएनएल के ब्राडबैंड की खराब स्थिति और बिजली की किल्लत की वजह से भी केन्द्र का संचालन बाधित होता है।
पटना, हिन्दुस्तान ब्यूरो। ‘ग्रामीण इलाकों में बस माउस क्लिक करने से कृषि समेत तमाम चीजों की जानकारी आसानी से सुलभ हो जाएगी। किसी विभाग में आवेदन करने और पहले से दिए आवेदन की अद्यतन जानकारी भी आसानी से मिल सकेगी।’ ऐसी तमाम सुविधाओं को मुहैया कराने के लिए राज्य सरकार ने सभी 8463 पंचायतों में ‘वसुधा केन्द्र’ नामक कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) की स्थापना करने की घोषणा 2009 में की थी।
सहज वसुधा केंद्र को मिलेगी संजीवनी
भागलपुर: ग्रामीण क्षेत्रों के बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने के लिए शुरू की गयी सहज वसुधा केंद्र मृतप्राय हो गयी है. अब सभी को विभिन्न सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन से जोड़ कर संजीवनी देने का कार्य किया जा रहा है.
इसके पीछे सरकार की मंशा स्वरोजगार के साथ-साथ विकास कार्यो में पारदर्शिता बरतने की भी है. इन केंद्रों के जरिये गांवों में बनने वाली सड़कें, विभिन्न सरकारी भवन व अन्य विकास की योजनाओं की निगरानी भी की जायेगी. सरकारी योजनाओं से सीधे जुड़ जाने के कारण वसुधा केंद्र फिर से अपने कार्य के पथ पर अग्रसर हो सकेंगे.
एजेंसी ने दिया धोखा
ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधा देने व बेरोजगार ग्रामीण युवाओं को स्वरोजगार देने के लिए जिले में 215 सहज वसुधा केंद्र खोला गया था. इसे खोलने की जिम्मेदारी हैदराबाद की एक एजेंसी जूम डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड को दी गयी थी. शुरुआत में एजेंसी द्वारा वसुधा केंद्र को कंप्यूटर आदि तमाम संसाधन मुहैया करा दिये गये थे, लेकिन इसके बाद एजेंसी ही भाग खड़ी हुई. इससे यह योजना बीच मंझधार में ही रह गयी. अब इन केंद्रों को फिर से जीवित करने का प्रयास किया जा रहा है.
ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधा देने व बेरोजगार ग्रामीण युवाओं को स्वरोजगार देने के लिए जिले में 215 सहज वसुधा केंद्र खोला गया था. इसे खोलने की जिम्मेदारी हैदराबाद की एक एजेंसी जूम डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड को दी गयी थी. शुरुआत में एजेंसी द्वारा वसुधा केंद्र को कंप्यूटर आदि तमाम संसाधन मुहैया करा दिये गये थे, लेकिन इसके बाद एजेंसी ही भाग खड़ी हुई. इससे यह योजना बीच मंझधार में ही रह गयी. अब इन केंद्रों को फिर से जीवित करने का प्रयास किया जा रहा है.
बिहार में वसुधा केंद्र दिला रहे बिचौलियों से मुक्ति
पटना| Published on: Wed, 09 May 2012 at 01:32 IST
बिहार में नालंदा जिले के बिहारशरीफ प्रखंड के देवधा ग्राम के रहने वाले संजय कुमार अब खुश हैं कि बिना प्रखंड मुख्यालय या जिला मुख्यालय गए ही उनका आवासीय और जाति प्रमाणपत्र बन गया। इसके लिए न ही उन्हें कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़े और न ही लिपिकों से मिन्नतें करनी पड़ीं। ये सुविधाएं कुछ ही समय के भीतर राज्य के सभी 8,471 ग्राम पंचायतों के वसुधा केंद्रों से मिल जाया करेंगी।
इसी गांव के मुनेश्वर को भी अपना आय प्रमाणपत्र अपनी पंचायत के वसुधा केंद्र से दो दिन के भीतर किसी बिचौलिये को पैसा दिए बगैर ही मिल गया। राज्य के सभी पंचायतों में लोगों को यह सुविधा इसलिए मिल रही है, क्योंकि सरकार ने पंचायतों के वसुधा केंद्रों में अब राइट टू सर्विस एक्ट (लोक सेवा का अधिकार अधिनियम) के तहत 51 सामान्य सुविधाएं देने की योजना बनाई है। इसकी शुरुआत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा से हुई।
नालंदा के जिलाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि पूरे जिले के 220 ग्राम पंचायतों में यह सेवा शुरू की गई है। शेष 29 पंचायतों में एक सप्ताह के भीतर यह सेवा शुरू कर दी जाएगी। सोमवार को पहला डिजिटल हस्ताक्षरयुक्त ई-प्रमाण पत्र दिया गया। सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, वेलट्रॉन और जिला प्रशासन के सहयोग से यह सम्भव हो सका।
राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इस सेवा का मुख्य उद्देश्य सेवा के लिए लम्बी अवधि तक इंतजार से लोगों को राहत तथा घर के नजदीक सुविधा दिलाना है। बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के मुताबिक, इस अधिनियम में तत्काल सेवा का प्रावधान किया गया है।
अधिकरियों का कहना है कि इस सेवा के तहत लोगों को बिचौलियों से मुक्ति नहीं मिलती थी। जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंड मुख्यालयों तक में बिचौलिये हावी हो गए थे और इसके लिए वे 200 से 2000 रुपये तक वसूलते थे।
राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव दीपक कुमार ने कहा कि नालंदा जिले से शुरू हुई इस योजना को 20 दिन के भीतर राज्य की सभी 8,471 ग्राम पंचायतों के वसुधा केंद्रों तक ले जाने की योजना है। इसके लिए कार्य पूरी तेजी से चल रहे हैं। उन्होंने आशा जताई कि जब यह सेवा लोगों को पंचायतों में ही मिलने लगेगी तो बिचौलियों पर अंकुश तो लगेगा ही, लोगों को सही मायने में लोक सेवा का अधिकार भी प्राप्त होने लगेगा।
वर्तमान में एक निर्धारित शुल्क के साथ जाति प्रमाणपत्र, आय प्रमाणपत्र, आवासीय प्रमाणपत्र, चरित्र प्रमाणपत्र सहित 51 सामान्य सुविधाओं को लोक सेवा अधिकार में शामिल किया गया है। बिचौलियों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने कई बार उनकी गिरफ्तारी भी की, लेकिन उन पर अंकुश नहीं लगाया जा सका।
अधिकारियों के अनुसार, इस सेवा के तहत अब तक 1.35 करोड़ लोगों के आवेदन प्राप्त किए गए हैं, जिसमें 1.25 करोड़ लोगों के आवेदनों का निपटारा कर दिया गया है। इनमें आय, जाति, चरित्र और आवासीय प्रमाण पत्र के मामले सबसे अधिक थे।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार की एक परियोजना के तहत देश की प्रत्येक पंचायत में एक कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) की स्थापना की जानी है। बिहार में इसका नाम वसुधा केंद्र है। इसका मुख्य उद्देश्य आम जनता को उन्हीं की पंचायत में सरकारी एवं गैर सरकारी कामों की सुविधा प्रदान करना है।ia
बिहार में नालंदा जिले के बिहारशरीफ प्रखंड के देवधा ग्राम के रहने वाले संजय कुमार अब खुश हैं कि बिना प्रखंड मुख्यालय या जिला मुख्यालय गए ही उनका आवासीय और जाति प्रमाणपत्र बन गया। इसके लिए न ही उन्हें कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़े और न ही लिपिकों से मिन्नतें करनी पड़ीं। ये सुविधाएं कुछ ही समय के भीतर राज्य के सभी 8,471 ग्राम पंचायतों के वसुधा केंद्रों से मिल जाया करेंगी।
इसी गांव के मुनेश्वर को भी अपना आय प्रमाणपत्र अपनी पंचायत के वसुधा केंद्र से दो दिन के भीतर किसी बिचौलिये को पैसा दिए बगैर ही मिल गया। राज्य के सभी पंचायतों में लोगों को यह सुविधा इसलिए मिल रही है, क्योंकि सरकार ने पंचायतों के वसुधा केंद्रों में अब राइट टू सर्विस एक्ट (लोक सेवा का अधिकार अधिनियम) के तहत 51 सामान्य सुविधाएं देने की योजना बनाई है। इसकी शुरुआत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा से हुई।
नालंदा के जिलाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि पूरे जिले के 220 ग्राम पंचायतों में यह सेवा शुरू की गई है। शेष 29 पंचायतों में एक सप्ताह के भीतर यह सेवा शुरू कर दी जाएगी। सोमवार को पहला डिजिटल हस्ताक्षरयुक्त ई-प्रमाण पत्र दिया गया। सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, वेलट्रॉन और जिला प्रशासन के सहयोग से यह सम्भव हो सका।
राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इस सेवा का मुख्य उद्देश्य सेवा के लिए लम्बी अवधि तक इंतजार से लोगों को राहत तथा घर के नजदीक सुविधा दिलाना है। बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के मुताबिक, इस अधिनियम में तत्काल सेवा का प्रावधान किया गया है।
अधिकरियों का कहना है कि इस सेवा के तहत लोगों को बिचौलियों से मुक्ति नहीं मिलती थी। जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंड मुख्यालयों तक में बिचौलिये हावी हो गए थे और इसके लिए वे 200 से 2000 रुपये तक वसूलते थे।
राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव दीपक कुमार ने कहा कि नालंदा जिले से शुरू हुई इस योजना को 20 दिन के भीतर राज्य की सभी 8,471 ग्राम पंचायतों के वसुधा केंद्रों तक ले जाने की योजना है। इसके लिए कार्य पूरी तेजी से चल रहे हैं। उन्होंने आशा जताई कि जब यह सेवा लोगों को पंचायतों में ही मिलने लगेगी तो बिचौलियों पर अंकुश तो लगेगा ही, लोगों को सही मायने में लोक सेवा का अधिकार भी प्राप्त होने लगेगा।
वर्तमान में एक निर्धारित शुल्क के साथ जाति प्रमाणपत्र, आय प्रमाणपत्र, आवासीय प्रमाणपत्र, चरित्र प्रमाणपत्र सहित 51 सामान्य सुविधाओं को लोक सेवा अधिकार में शामिल किया गया है। बिचौलियों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने कई बार उनकी गिरफ्तारी भी की, लेकिन उन पर अंकुश नहीं लगाया जा सका।
अधिकारियों के अनुसार, इस सेवा के तहत अब तक 1.35 करोड़ लोगों के आवेदन प्राप्त किए गए हैं, जिसमें 1.25 करोड़ लोगों के आवेदनों का निपटारा कर दिया गया है। इनमें आय, जाति, चरित्र और आवासीय प्रमाण पत्र के मामले सबसे अधिक थे।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार की एक परियोजना के तहत देश की प्रत्येक पंचायत में एक कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) की स्थापना की जानी है। बिहार में इसका नाम वसुधा केंद्र है। इसका मुख्य उद्देश्य आम जनता को उन्हीं की पंचायत में सरकारी एवं गैर सरकारी कामों की सुविधा प्रदान करना है।ia
सब्सिडी के बूते और लोकप्रिय होगा वसुधा केंद्र
जागरण ब्यूरो, पटना Fri, 21 Dec 2012 08:04 PM
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को वसुधा केंद्रों की जागरूकता को ले राष्ट्रीय ई गवर्नेस योजना के तहत उन्मुखीकरण परिवर्तन अभियान का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि वसुधा केंद्र चलाने वालों को अगर सब्सिडी मिले तो यह अपने आप बेहद लोकप्रिय हो जाएगा। केंद्र सरकार उन राज्यों के लिए ऐसी विशेष योजना तैयार करे, जहां लोक सेवा का अधिकार नियम (आरटीपीएस) लागू है। केंद्र सरकार सब्सिडी की राशि सीधे वसुधा केंद्र चलाने वालों को दे। राज्य सरकार भी इसमें अपना योगदान करेगी।
उनके अनुसार ई गवर्नेस का सीधा संबंध डिलीवरी सिस्टम से हो गया है। आईटी के विकास से क्रांति आई है। यह जनहित में भी है। हमारी योजना हर प्रखंड में वसुधा केंद्र स्थापित करने की है। वसुधा केंद्र का उपयोग सरकारी सेवाओं को हासिल किए जाने को ले अभी कम होता है, क्योंकि इसका इस्तेमाल करने वालों को इसकी एवज में केंद्र संचालक को शुल्क देना पड़ता है। सरकारी दफ्तरों में पैसा नहीं लगता है। वसुधा केंद्र पर लगने वाले शुल्क को अगर सब्सिडी के तौर पर उनके संचालकों को दे दिया जाए, तो फायदा होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वसुधा केंद्र के माध्यम से निर्माण से जुड़ी योजनाओं की मानीटरिंग भी हो सकती है। हम उन्हें यह जवाबदेही सौंप दें कि निर्माण योजनाओं के सुबह-शाम हुई प्रगति की तस्वीर हमें भेजें। वसुधा केंद्र इस तरह से बन जाएं कि लोगों को अधिक से अधिक फायदा हो। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर झंडी दिखाकर जागरुकता रथ को भी रवाना किया। इस दौरान सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री शाहिद अली खान भी मौजूद थे।
इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अपर सचिव राजीव गौवा के अनुसार जागरुकता से जुड़ा यह अभियान रथ प्रदेश के 138 वसुधा केंद्रों पर एक माह के अंदर पहुंचेगा। नालंदा के छबीलापुर से यह अभियान रथ शनिवार को विधिवत रूप से वसुधा केंद्रों के लिए आगे बढ़ेगा। यह अभियान इसलिए शुरू किया गया है कि वसुधा केंद्रों के स्तर से होने वाले काम की मात्रा बढ़े। कामन सर्विस सेंटर को बिहार में वसुधा केंद्र के रूप में जाना जाता है। सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह ने बिहार में आईटी सेक्टर की गतिविधियों की व्यापक चर्चा की।
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