Wednesday, May 1, 2013

पंचायतों में ‘वसुधा केन्द्र’

First Published:01-06-11 12:46 AM
पटना, हिन्दुस्तान ब्यूरो। ‘ग्रामीण इलाकों में बस माउस क्लिक करने से कृषि समेत तमाम चीजों की जानकारी आसानी से सुलभ हो जाएगी। किसी विभाग में आवेदन करने और पहले से दिए आवेदन की अद्यतन जानकारी भी आसानी से मिल सकेगी।’ ऐसी तमाम सुविधाओं को मुहैया कराने के लिए राज्य सरकार ने सभी 8463 पंचायतों में ‘वसुधा केन्द्र’ नामक कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) की स्थापना करने की घोषणा 2009 में की थी।
11वीं पंचवर्षीय योजना में ही इन केन्द्रों को स्थापित कर सारे जिलों को ई-जिला बनाने की कवायद शुरू की गई थी। परंतु 12वीं पंचवर्षीय योजना आने के पहले ही इस योजना का दम निकलता नजर आ रहा है। हालत यह है कि अभी तक राज्य की 8463 पंचायतों में महज 6200 पंचायतों में ही वसुधा केन्द्र स्थापित हो पाएं हैं। इस वजह से 2015 तक राज्य के सुदूर पंचायती क्षेत्रों में सूचना प्रौद्योगिकी की लहर पहुंचाने की कवायद धूमिल पड़ती दिख रही है।कई कारण हैं असफल होने के वसुधा केन्द्रों के संचालन का जिम्मा बेल्ट्रान को सौंपा गया था।
बेलट्रान ने एक कंपनी को इन केन्द्रों को चलाने का जिम्मा दिया था। परंतु कम्प्यूटर समेत तमाम सामान की सप्लाई में गड़बड़ी की वजह से सितम्बर 2010 में बेलट्रान ने इसे टरमिनेट कर दिया। इसके बाद से किसी को इसके संचालन की जिम्मेवारी नहीं सौंपी गई है। बेलट्रान से मिली जानकारी के अनुसार, कई सुदूरवर्ती पंचायतों में बीएसएनएल के ब्राडबैंड की खराब स्थिति और बिजली की किल्लत की वजह से भी केन्द्र का संचालन बाधित होता है।

सहज वसुधा केंद्र को मिलेगी संजीवनी



भागलपुर: ग्रामीण क्षेत्रों के बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने के लिए शुरू की गयी सहज वसुधा केंद्र मृतप्राय हो गयी है. अब सभी को विभिन्न सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन से जोड़ कर संजीवनी देने का कार्य किया जा रहा है.
इसके पीछे सरकार की मंशा स्वरोजगार के साथ-साथ विकास कार्यो में पारदर्शिता बरतने की भी है. इन केंद्रों के जरिये गांवों में बनने वाली सड़कें, विभिन्न सरकारी भवन व अन्य विकास की योजनाओं की निगरानी भी की जायेगी. सरकारी योजनाओं से सीधे जुड़ जाने के कारण वसुधा केंद्र फिर से अपने कार्य के पथ पर अग्रसर हो सकेंगे.
एजेंसी ने दिया धोखा
ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधा देने व बेरोजगार ग्रामीण युवाओं को स्वरोजगार देने के लिए जिले में 215 सहज वसुधा केंद्र खोला गया था. इसे खोलने की जिम्मेदारी हैदराबाद की एक एजेंसी जूम डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड को दी गयी थी. शुरुआत में एजेंसी द्वारा वसुधा केंद्र को कंप्यूटर आदि तमाम संसाधन मुहैया करा दिये गये थे, लेकिन इसके बाद एजेंसी ही भाग खड़ी हुई. इससे यह योजना बीच मंझधार में ही रह गयी. अब इन केंद्रों को फिर से जीवित करने का प्रयास किया जा रहा है.
This Article Posted on: January 3rd, 2013 in : Sections.

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बिहार में वसुधा केंद्र दिला रहे बिचौलियों से मुक्ति

पटना|                         Published on: Wed, 09 May 2012 at 01:32 IST
बिहार में नालंदा जिले के बिहारशरीफ प्रखंड के देवधा ग्राम के रहने वाले संजय कुमार अब खुश हैं कि बिना प्रखंड मुख्यालय या जिला मुख्यालय गए ही उनका आवासीय और जाति प्रमाणपत्र बन गया। इसके लिए न ही उन्हें कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़े और न ही लिपिकों से मिन्नतें करनी पड़ीं। ये सुविधाएं कुछ ही समय के भीतर राज्य के सभी 8,471 ग्राम पंचायतों के वसुधा केंद्रों से मिल जाया करेंगी। 

इसी गांव के मुनेश्वर को भी अपना आय प्रमाणपत्र अपनी पंचायत के वसुधा केंद्र से दो दिन के भीतर किसी बिचौलिये को पैसा दिए बगैर ही मिल गया। राज्य के सभी पंचायतों में लोगों को यह सुविधा इसलिए मिल रही है, क्योंकि सरकार ने पंचायतों के वसुधा केंद्रों में अब राइट टू सर्विस एक्ट (लोक सेवा का अधिकार अधिनियम) के तहत 51 सामान्य सुविधाएं देने की योजना बनाई है। इसकी शुरुआत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा से हुई।

नालंदा के जिलाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि पूरे जिले के 220 ग्राम पंचायतों में यह सेवा शुरू की गई है। शेष 29 पंचायतों में एक सप्ताह के भीतर यह सेवा शुरू कर दी जाएगी। सोमवार को पहला डिजिटल हस्ताक्षरयुक्त ई-प्रमाण पत्र दिया गया। सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, वेलट्रॉन और जिला प्रशासन के सहयोग से यह सम्भव हो सका।

राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इस सेवा का मुख्य उद्देश्य सेवा के लिए लम्बी अवधि तक इंतजार से लोगों को राहत तथा घर के नजदीक सुविधा दिलाना है। बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के मुताबिक, इस अधिनियम में तत्काल सेवा का प्रावधान किया गया है।

अधिकरियों का कहना है कि इस सेवा के तहत लोगों को बिचौलियों से मुक्ति नहीं मिलती थी। जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंड मुख्यालयों तक में बिचौलिये हावी हो गए थे और इसके लिए वे 200 से 2000 रुपये तक वसूलते थे।

राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव दीपक कुमार ने कहा कि नालंदा जिले से शुरू हुई इस योजना को 20 दिन के भीतर राज्य की सभी 8,471 ग्राम पंचायतों के वसुधा केंद्रों तक ले जाने की योजना है। इसके लिए कार्य पूरी तेजी से चल रहे हैं। उन्होंने आशा जताई कि जब यह सेवा लोगों को पंचायतों में ही मिलने लगेगी तो बिचौलियों पर अंकुश तो लगेगा ही, लोगों को सही मायने में लोक सेवा का अधिकार भी प्राप्त होने लगेगा।

वर्तमान में एक निर्धारित शुल्क के साथ जाति प्रमाणपत्र, आय प्रमाणपत्र, आवासीय प्रमाणपत्र, चरित्र प्रमाणपत्र सहित 51 सामान्य सुविधाओं को लोक सेवा अधिकार में शामिल किया गया है। बिचौलियों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने कई बार उनकी गिरफ्तारी भी की, लेकिन उन पर अंकुश नहीं लगाया जा सका।

अधिकारियों के अनुसार, इस सेवा के तहत अब तक 1.35 करोड़ लोगों के आवेदन प्राप्त किए गए हैं, जिसमें 1.25 करोड़ लोगों के आवेदनों का निपटारा कर दिया गया है। इनमें आय, जाति, चरित्र और आवासीय प्रमाण पत्र के मामले सबसे अधिक थे।

उल्लेखनीय है कि भारत सरकार की एक परियोजना के तहत देश की प्रत्येक पंचायत में एक कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) की स्थापना की जानी है। बिहार में इसका नाम वसुधा केंद्र है। इसका मुख्य उद्देश्य आम जनता को उन्हीं की पंचायत में सरकारी एवं गैर सरकारी कामों की सुविधा प्रदान करना है।ia

सब्सिडी के बूते और लोकप्रिय होगा वसुधा केंद्र


मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को वसुधा केंद्रों की जागरूकता को ले राष्ट्रीय ई गवर्नेस योजना के तहत उन्मुखीकरण परिवर्तन अभियान का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि वसुधा केंद्र चलाने वालों को अगर सब्सिडी मिले तो यह अपने आप बेहद लोकप्रिय हो जाएगा। केंद्र सरकार उन राज्यों के लिए ऐसी विशेष योजना तैयार करे, जहां लोक सेवा का अधिकार नियम (आरटीपीएस) लागू है। केंद्र सरकार सब्सिडी की राशि सीधे वसुधा केंद्र चलाने वालों को दे। राज्य सरकार भी इसमें अपना योगदान करेगी।
उनके अनुसार ई गवर्नेस का सीधा संबंध डिलीवरी सिस्टम से हो गया है। आईटी के विकास से क्रांति आई है। यह जनहित में भी है। हमारी योजना हर प्रखंड में वसुधा केंद्र स्थापित करने की है। वसुधा केंद्र का उपयोग सरकारी सेवाओं को हासिल किए जाने को ले अभी कम होता है, क्योंकि इसका इस्तेमाल करने वालों को इसकी एवज में केंद्र संचालक को शुल्क देना पड़ता है। सरकारी दफ्तरों में पैसा नहीं लगता है। वसुधा केंद्र पर लगने वाले शुल्क को अगर सब्सिडी के तौर पर उनके संचालकों को दे दिया जाए, तो फायदा होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वसुधा केंद्र के माध्यम से निर्माण से जुड़ी योजनाओं की मानीटरिंग भी हो सकती है। हम उन्हें यह जवाबदेही सौंप दें कि निर्माण योजनाओं के सुबह-शाम हुई प्रगति की तस्वीर हमें भेजें। वसुधा केंद्र इस तरह से बन जाएं कि लोगों को अधिक से अधिक फायदा हो। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर झंडी दिखाकर जागरुकता रथ को भी रवाना किया। इस दौरान सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री शाहिद अली खान भी मौजूद थे।
इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अपर सचिव राजीव गौवा के अनुसार जागरुकता से जुड़ा यह अभियान रथ प्रदेश के 138 वसुधा केंद्रों पर एक माह के अंदर पहुंचेगा। नालंदा के छबीलापुर से यह अभियान रथ शनिवार को विधिवत रूप से वसुधा केंद्रों के लिए आगे बढ़ेगा। यह अभियान इसलिए शुरू किया गया है कि वसुधा केंद्रों के स्तर से होने वाले काम की मात्रा बढ़े। कामन सर्विस सेंटर को बिहार में वसुधा केंद्र के रूप में जाना जाता है। सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह ने बिहार में आईटी सेक्टर की गतिविधियों की व्यापक चर्चा की।