Thursday, March 29, 2012

वन औषधियों का विपणन सरकार खुद करे !

रोहतास तथा भभुआ जिले के कैमूर पहाड़ी पे प्रचुर मात्रा में वन औषधियों की
भंडार है , जो पहाड़ पर  बसे वनवासियों की एक तरह से जीविकोपार्जन का
मुख्य स्रोत भी है ! सेठ साहुकारो द्वारा काफी कम कीमत अदा कर वनवासियों
से इन जड़ी बुटिओं को खरीद लिया जाता है ! फिर इन्ही वन औषधियों को सेठ -
साहूकारों द्वारा काफी उच्च कीमतों पर  अन्य राज्यों के व्यापारियों से
बेच दिया जाता है ! जिससे कीमती दवा बना कर कई असाध्य रोगों का इलाज
आयुर्वेदाचार्यों द्वारा  किया जाता है ! इन बेसकिमती जड़ी - बूटियों में
मुख्यतः  संजीवनी बूटी, अडूसा, देवदार, धिकुवार, गुरमार , कष्टकारी,
आंवला, हर्रे, सहिजन, गिलोय, मेथी, मोथा  इत्यादि शामिल हैं - जिसे
वनवासियों  को  मज़बूरी तथा बाजार के आभाव में औने- पौने दामों पर सेठ -
साहूकारों तथा बिचौलिओं के  हाथों बेचने हेतु विवश होना पड़ता  है !
सरकार अगर  विपणन   की समुचित व्यवस्था कर दे तो इसमें दो राय नहीं की
वनवासियों  को  इनके द्वारा बेचे जाने वाले  वन औषधियों का उचित मूल्य
मिलना शुरू हो जायेगा वहीँ दूसरी ओर   वनवासियों की आर्थिक स्थिति को भी
काफी हद तक  सुदृढ़ किया जा सकता है ! सरकार इस ओर  ध्यान दे !

कुमार रवि रंजन
इन्द्रपुरी, रोहतास,

9934060241

सभी सरकारी विद्यालयों में नियुक्त हों ललित व संगीत कला शिक्षक !

वर्तमान में राज्य सरकार शिक्षा प्रणाली को दुरुस्त करने हेतु सराहनिए
कार्य कर रही है ! सरकार पुरानी परंपरा से हट के सरकारी विद्यालयों में
शारीरिक, कंप्यूटर, स्पीकिंग इंग्लिश, बच्चियों हेतु जुडो कराटे की
शिक्षा उपलब्ध करा रही है ! ताकि ये बच्चे आगे चलकर अपना  उज्जवल भविष्य
बना सकें ! लेकिन अफ़सोस की बात ये है की अभी तक सरकारी विद्यालयों के
बच्चों को ललित एवं  संगीत कला के कौशल को जागृत करने  हेतु कोई  ठोस पहल
सरकार द्वारा  नहीं की  गई   है ! पूर्व में मानव संसाधन विभाग के सचिव
ने ललित व संगीत कला के शिक्षकों की बहाली सभी सरकारी विद्यालयों में
करने की बात कही थी, "जिनसे सरकार पार्ट टाइम  सेवा लेकर बच्चे बच्चियों
को ललित व संगीत कला की शिक्षा विद्यालयों में उपलब्ध कराएगी" ! लेकिन
अभी तक विभाग द्वारा  इस सन्दर्भ में कोई ठोंस करवाई  नहीं हुई  जो -
दुःख की बात है ! अतीत में बिहार इन दोनों विधाओं में माहिर हुआ करता था,
जिसे पुनः जीवित  करने की जिम्मेवारी सरकार की बनती  है ! मै शिक्षा
विभाग से इन शिक्षकों को शीघ्र बहाल करने की अपील करता हूँ !

कुमार रवि रंजन
इन्द्रपुरी, रोहतास

शेरशाह शुरी आज होते तो शायद बिफर पड़ते !

सहसराम के रहने वाले  हिंदुस्तान के एक महान शासक शेरशाह शुरी ने अल्प
समय में ही देश में सुशासन की नीव रख डाली थी ! इस शासक के फार्मूले को
ही अपना कर बादशाह अकबर ने हिंदुस्तान पर करीब चार दशको तक शासन  किया!
"ग्रांड ट्रक सड़क" का निर्माण शेरशाह सूरी की एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती
है ! लेकिन  कष्ट की बात ये है की,  इस महान शासक द्वारा बनाये गए सड़क
(अब एन० एच० २ ) से देश विदेश के शैलानी एवं पर्यटक  जब इनके ही मकबरा को
देखने सासाराम आते हैं तो, उन्हें बिच के रास्ते (भाया -  कादिरगंज,
भारती गंज  एवं लश्करी गंज ) के दोनो तरफ स्थानीय आबादी द्वारा विसर्जित
किये गए मल मूत्र के कारण गंभीर नारकीय स्थितिओं का सामना करना  होता  है
! मकबरा देखने आये शैलानी  बाद में मकबरे से ज्यादा  इस रास्ते को याद
करते  है, जिसके सहारे वो एन० एच० २  से सासाराम शेरशाह के मकबरा के
दर्शनार्थ  आये थे ! ये समस्या  सासाराम  के छवि को भी प्रभावित करता है
!
 जब की बिहार राज्य पर्यटन विभाग के सभापति का आवास मकबरे से चंद कदम
दुरी पे स्थित है !
तो कहना ये अतिशयोक्ति नहीं होगा की "काश" आज हमारे महान शासक जिन्दा
होते तो इस हालत को देख शायद वो बिफर पड़ते ?
मै बिहार राज्य पर्यटन विभाग तथा जिला प्रशासन से इस समस्या के निदान
करने हेतु  अपील करता हूँ ! ताकि "शुरी" के मकबरे के साथ - साथ उनके  यश
की रौनक बनी रहे !

कुमार रवि रंजन
इन्द्रपुरी, रोहतास