सेवा में,
प्रभात खबर, बिहार
बिषय : वसुधा केंद्र के सम्बन्ध में !
महाशय,
डाक्टर अब्दुल कलाम के विजन २०२० से प्रेरित हो केंद्र
सरकार राज्य सरकार के साथ मिल कर रास्ट्रीय ई गोवार्नेंस योजना के तहत CSC
( कमान सर्विस सेंटर) की स्थापना देश के सभी पंचायतो तथा नगर निकाय के
वार्डो में सन २००७ में शुरुआत की ! CSC स्थापित करने की जिम्मेवारी PPP
(पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड के तहत देश में भिन्न - भिन्न कम्पनियों
को दिया गया ! CSC देश में एक प्रारूप में काम करता है , लेकिन राज्य
सरकारों ने इसका नाम अपने राज्यों में भिन्न - भिन्न रखा है! जैसे - बिहार
में वसुधा केंद्र , झारखण्ड में प्रज्ञा केंद्र असम में अरुणोदय, उत्तर
प्रदेश में जन सेवा केंद्र इत्यादि नमो से जाना जाता है ! पुरे देश में
करीब १००००० तथा बिहार के सभी पंचायतों में करीब ८४०० CSC स्थापित करने
का लक्ष्य रखा गया! जिसमे बिहार राज्य करीब ९५% वसुधा केन्द्रों को स्थापित
कर चूका है
* बिहार सरकार द्वारा सन २००७ में तिन कम्पनियों १. स्रेई सहज २. जूम
कम्युनिकशन तथा ३. सार्क के साथ राज्य के सभी पंचायतो में वसुधा केंद्र
स्थापित करने हेतु एक एम् यु एम् साइन किया ! इन कम्पनियों को SCA (सर्विस
सेंटर एजेंसी ) कहा जाता है, जिनकी जिम्मेवारी वसुधा केन्द्रों के संचालन
हेतु एवं अच्छे से रख रखाव करने की होती है ! तथा राज्य सरकार की स्वायत
एजेंसी BELTRON इसकी निगरानी तथा निर्देशित करने की काम करता है !
* बिहार के तीनो SCA में सबसे ज्यादा ५५६५ वसुधा केंद्र स्थापित करने की जिम्मेवारी स्रेई सहज कम्पनी को दिया गया है!
* स्रेई सहज द्वारा मार्जिन मनी के रूप में ३२०००
+ १२००० रुपया की DD वसुधा केंद्र संचालकों (VLE ) से लेकर दो लाप टॉप, एक
वेब कैमरा , कलर प्रिंटर, फोटो कैमरा, भी सेट, चेयर, टेबल, आपात उर्जा
उपकरण उपलब्ध किया गया !
* केंद्र स्थापित करने हेतु आवेदक का न्यूनतम योग्यता मैट्रिक उतीर्ण,तथा
एक 10x15 " का कमरा पंचायत के मुख्यालय ग्राम में होना अनिवार्य रखा गया
है.
* कंपनी द्वारा वसुधा संचालकों को वादा था की केंद्र खुलने
के ६ माह पश्चात् २०००० रु मासिक आमदनी केन्द्रों पर उपलब्ध होने वाले
सरकारी तथा गैर सरकारी सेवाओं को आम नागरिकों को उपलब्ध कराने पर प्राप्त
होगा !
* सरकारी सेवाओं में खास कर जाती, आय, निवास, जन्म-मृत्यु, चालक,
खाता - खतौनी इत्यादि प्रमाण पत्र , जन शिकायत, थर्ड पार्टी मोनिटरिंग,
बैंकिंग सेवा, शामिल है ( जिसे G2C की संज्ञा मिली है )जो सेवाएँ आज तक
वसुधा को नहीं मिला, हाल ही में इन सेवायों को नालंदा जिले में पिलोत
प्रोजेक्ट के तौर पर ऑनलाइन शुरू किया गया लेकिन ये दुर्भाग्य कहा जायेगा
की काम तो शुरू हो चूका लेकिन संचालकों को इन सेवाओं को आम जन को उपलब्ध
कराने के पश्चात् भुगतान की प्रक्रिया को काफी जटिल कर दिया गया ,या यूँ
कहे की कम्पनी के इशारे पर इस प्रक्रिया को अपनाया गया !
* पिछले डेड़ वर्षों से प्रखंड स्तर पे जन वितरण प्रणाली के कूपनों
की ऑनलाइन स्कान्निंग का काम वसुधा केन्द्रों द्वारा काफी कम दर (००.०४
पैसा / कूपन ) पर किया जा रहा है, जिसकी भुगतान आज तक राज्य सरकार द्वारा
नहीं किया गया ! जो खेद की बात है !
* समय - समय पे संचालकों द्वारा राज्य स्तर पे व्यापक धरना प्रदर्शन
तथा बेल्ट्रान के समक्ष भूख हड़ताल किया गया ! जिसको ले सरकार के आला
अधिकारी वसुधा को काम देने हेतु तैयार हो सबंधित काम को ऑनलाइन कराने हेतु
कई तरह के पत्रों से जिलाधिकारियों को निर्देश दिया ! लेकिन ये दुर्भाग्य
कहा जायेगा की उन जारी पत्रों के उपर कोई भी जिला पदाधिकारी ने गंभीरता
से ध्यान नहीं दिया ! जिसका दुष्परिणाम है की आज संचालक बेरोजगार बैठा !
* आज तक कोई भी ग्रामीण स्तरीय संचालक लाभ के बजाय नुकसान ज्यादा झेला
है, अगर थोरा बहुत लाभ प्राप्त भी हुआ है तो वो शहरी क्षेत्रों के
संचालकों को प्राप्त हुआ है, वो भी सरकारी सेवाओं से नहीं बल्कि प्राइवेट
सेवाओं को बेच कर हुआ है ! जैसे जीवन तथा वाहन बिमा पोलिसी, नेट मोबाइल
रिचार्ज, रेलवे टिकट इत्यादि बेच कर ! सिर्फ इन सेवाओं को बेचना ग्रामीण
संचालकों के लिए टेडी खीर है,
*
स्रेई सहज कम्पनी ने जो ऋण संचालकों को उपलब्ध करया था उस समय वादा था
की, सेवाओं के बिक्री के पश्चात् प्राप्त आय से प्रदत ऋण की किस्तों में
भरपाई करनी होगी! कम्पनी तथा सरकार को भालिभातीं मालूम है की वसुधा को कोई
भी सरकारी काम नहीं दिया गया, कोई आमदनी नहीं है, लेकिन हाल ही में स्रेई
सहज कम्पनी द्वारा उन सभी वसुधा संचालको को ऋण अदायगी की नोटिस भेजा गया
है ! श्रीमान ये सरासर अन्याय नहीं तो और क्या है की हमारे उज्जवल भविष्य
को कम्पनी और सरकार द्वारा झूठ बोल कर केंद्र लेने हेतु प्रेरित किया गया !
और अब न्यालय में खीचने की धमकी स्रेई सहज के बिहार हेड द्वारा दिया जा
रहा है ! आखिर हमें ये ऋण अपना घर बनाने हेतु तो नहीं दिया गया था ! जिस
कार्य हेतु दिया गया वो काम आज तक मुय्यस्सर नहीं हुआ ! काम मिले , आमदनी
हो तो संचालक क्यूँ ऋण की अदायगी नहीं करेगा?
*सरकार तथा कम्पनी के गलत नीतियों के कारन राज्य से अनेकों संचालक रोजगार
हेतु अन्यत्र पलायन कर चुके हैं, अब काम भी अगर मिलता है तो कम्पनी द्वारा
सभी प्रदात उपकरण बेकार की स्थिति में आ चूका है ! चुकी इन उपकरणों को मिले
करीब चार वर्ष हो चुके हैं ! अब काम भी मिले तो नया उपकरण हर हल में लगाना
अनिवार्य होगा जो संचालकों की वश की बात नही होगी ! जिसपे राज्य सरकार को
गंभीरता से सोचना होगा !
* सरकारी बाबु लोगो ने सर्कार के आदेशोपरांत कुछ सेवाओं को वसुधा को
देने हेतु आदेश तो जारी किया लेकिन जमीनी स्तर की सच्चाई यही है की जिला,
प्रखंड तथा पंचायत स्तर पर आदेशित सेवाओं की सुविधा को बहल नहीं किया गया !
चुकी इन्हें डर है की शायद इन निचे स्तर के बाबुओं की भ्रष्ट्राचार की पोल
पंचायत स्तर पर खुल सकती है, जिससे उन्हें परेशानी की सामना करना पड़ सकता
है ! उदाहरण :-
(१) सुचना प्रावैधिकी विभाग के सचिव का पत्र संख्या ५३८/ २१/ ०७/२००८
जो सभी प्रमंडलीय आयुक्त तथा सभी जिला पदाधिकारियों को भेजा गया, जो वसुधा
केन्द्रों को सरकारी काम उपलब्ध करने से सम्बंधित है !
(२)
ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव का पत्र संख्या १४७४१ / १२/११/ २००८
जो सभी जिला -प्रखंड वि. अंचल वि. पदाधिकारी, तथा उप विकास आयुक्त को
भेजा गया ! जो वसुधा केन्द्रों को सरकारी सेवा मुहैया करने हेतु सम्बंधित
है
(३) बेल्ट्रान का पत्र संख्या ३२६० / २१/०७/२०१० जो सभी जिलाधिकारियों
तथा तीनो SCA को लिखा गया ज. वि. प्र. की सेवा को उपलब्ध कराने के लिए
(४)
बेल्ट्रान का पत्र संख्या २८१०/ २५/०६/२०१० जो सभी जिलाधिकारी,
तथा प्रधान सचिव आई.टी. को लिखा गया वसुधा केन्द्रों को सेवा उपलब्ध कराने
हेतु
(५) सर्कार के प्रधान सचिव - सुचना प्रावैधिकी का पत्र संख्या
७१/२०१०/२३९ जो सभी प्रधान सचिव / सचिव/ जिलाधिकारी को लिखा गया वसुधा
केन्द्रों को नरेगा की ऑनलाइन डाटा एंट्री के कार्य करने के लिए
श्रीमान दुःख के साथ कहना पड रहा है की उपरोक्त पत्रों का धरातल पे कोई
परिणाम नहीं निकला! ये सभी पत्र सिर्फ और सिर्फ कार्यालय / विभागों की
फाइलों की शोभा बढ़ाने का काम भर किया ! उपरोक्त पत्रों से वसुधा केन्द्रों
को कुछ नहीं मिला जो आपके स्तर से जाँच का बिषय है !
हाँ एक चीज जरुर हुई है की राज्य सरकार को प्रिंट
मीडिया तथा मुख्य मंत्री के जगह - जगह दिए गए भाषणों से आम जनता को कभी कभी
मन बहलाने का मौका आवश्य मिला होगा !
जैसे " हम एक ऐसे
बिहार की परिकल्पना को साकार करेंगे जहाँ ग्रामीणों के लिए सरकारी
कार्यालय को उनके गाँव में शिफ्ट किया जायेगा! वह एक ऐतेहासिक दिन होगा जब
बाबुओं से परेशान आम आदमी गाँव के ही वसुधा केन्द्रों से तमाम सेवाएँ
प्राप्त करेगा" ( सन २००८ में रोहतास के डिहरी ऑन सोन के पड़ाव मैदान के एक भाषण में नितीश कुमार जी का उदगार)
ये वही स्रेई सहज कम्पनी है जो धोखे से वसुधा संचालकों की
करोड़ों रूपये वेब पोर्टल से गायब कर चुकी है, जिसकी सुचना मुख्य मंत्री
को समय समय पे जनता दरबार में आवेदन के माध्यम दी गयी है , लेकिन करवाई
नगण्य रहा !
हम सभी संचालक आपसे नम्र निवेदन करते हैं की आप शीघ्र इस विकराल समस्या की ओर अपना ध्यान आवश्य देंगे!
आपका विश्वासभाजन
कुमार रवि रंजन
प्रवक्ता
वसुधा केंद्र संचालक संघ - बिहार
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