Saturday, February 22, 2014

जो मिटा दे अपनी हस्ती को,

जो मिटा दे अपनी हस्ती को, अगर कुछ मरतबा चाहे  !
कि दाना खाक में मिलकर, गुले गुलजार होता है
(प्रवास के दिनों का चित्र )

हमें भी आता है इश्क़ लिखना

 हमें भी आता है इश्क़ लिखना , लेकिन जरुरत है अभी इंकलाब लिखने कि

एक गरीब परिवार

संसद को वंशवाद से मुक्त कराना लक्ष्य

तू इधर उधर कि बात मत कर , बता काफिला क्यूँ लुटा , मुझे रहजनों कि गरज नहीं, तेरे रहबरी कि सवाल है !


दोस्तों ये गरीब लोग मेरे गांव के बाजु में रहते हैं जिन्हे आज भी सरकार से एक अदद घर कि तलाश है और नितीश कुमार अपने कथित सुशासन में तवलीन हैं !