हम
हिंदू सदा से प्रकृति पूजक रहे हैं... हमारे पूर्वज बेवकूफ नहीं थे जो
वृक्ष, पर्वत, नदी, समुद्र या भूमि की पूजा करते थे.. चाहे औषधीय पौधा
तुलसी हो, या सर्वाधिक प्राणवायु देने वाला वृक्ष पीपल हो, गिरिराज गोवर्धन
हो या प्राणदायिनी माँ गंगा और यमुना हो या दूध रुपी अमृत से हमारा पालन
करने वाली गाय हो.... ईश्वर की हर कृति को उसका वरदान माना.. जड में भी
प्राण-प्रतिष्ठा कर उसमें चेतना का संचार किया....
लेकिन हमने क्या किया??
आधुनिकता और विकास के नाम पर प्रकृति के साथ खिलवाड किया... जंगलों को
काटा .. नदियों को प्रदूषित किया.. बांध बनाकर उनकी अविरल धारा को रोकने की
चेष्टा की... हमेशा प्रकृति के साथ अधोषित युद्ध किया...
लेकिन
अब देखो प्रकृति का तांडव... उत्तराखंड में यमुना- गंगा का वेग इसका उदाहरण
है... मानव को ये नहीं भूलना चाहिये कि वो प्रकृति के सामने आज भी असहाय
है... भूकंप, सुनामी, अतिवृष्टि और अनावृष्टि हमारी करनी का ही फल है...
इसका साथ दोगे तो ये तुम्हारा साथ देगी.. वरना ... तुम्हारी सारी तकनीकी,
मिसाइल, परमाणु बम, सब बेकार हैं... ......................................
अब तो प्रकृति के साथ खिलवाड बंद करो ......