विद्रोही स्वभाव,अन्याय से लड़ने की इच्छा, वसुधा केंद्र संचालक एवं लोगों की मदद करने में स्व:आनंद ! निरीहता, कुछ मांगना, झूठ बोलना और डर कर किसी के आगे सिर झुकना हमें पसंद नहीं ! ईश्वर अन्तिम समय तक इतनी शक्ति एवं सामर्थ्य दे, कि जरूरतमंदो के काम आता रहूँ , भूल से भी किसी का दिल न दुखाऊँ ! रुचियाँ - जिनका कोई न हो उनकी मदद करना,सामाजिक ढकोसलों और दिखावे से दूर, फोटोग्राफी , पढना और लिखना, जीवन को हँसना सिखाना, Kumar Ravi Ranjan ( Spoke person), CSCAssociation, Bihar- 9934060241
Friday, July 27, 2012
Friday, July 20, 2012
अब तक नहीं खुले 2000 वसुधा केंद्र
अब तक नहीं खुले 2000 वसुधा केंद्र
20/07/2012 Prabhat Khabar, Patna, Muzpur, Gaya
कई जगहों पर यह ठीक से काम नहीं कर रहा. अधिकतर केंद्रों पर बिजली नहीं होने और महंगे सोलर उपकरण के कारण काम ठप है.
वहीं कम पैसे में कंप्यूटर के जानकारों का अभाव भी इस योजना को गति नहीं पकड़ने दे रहा.
सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत चार जिलों में डिस्ट्रिक्ट-इ पायलट योजना शुरू की, पर यहां भी पूरी तरह काम आरंभ नहीं हो पाया.जरूर, कुछ केंद्र ऐसे भी हैं, जहां बेहतर काम हो रहे हं.. इन केंद्रों पर आम आदमी इंटरनेट के जरिये शादी के कार्ड भेजने से लेकर हवाई जहाज व रेल टिकट तक आरक्षित करा रहे हैं.
फोटो स्टेट व स्टूडियो से चल रहा काम
सूचना एवं प्रावैधिकी विभाग की निगरानी में 8463 वसुधा केंद्र की स्थापना की जानी थी. इनमें अब तक 8138 स्थानों की पहचान हो चुकी है. विभाग का दावा है कि 6600 वसुधा केंद्रों से लोग सरकार की सेवाएं ले रहे हैं. वहीं, वास्तविकता यह है कि कई जिले में स्थापित वसुधा केंद्रों पर अब भी समुचित सुविधा उपलब्ध नहीं हो सकी है.
मुजफ्फरपुर में संचालक सरकारी काम के अभाव में फोटो स्टेट व स्टूडियो का काम कर रहे हैं. बेगूसराय में प्रमाणपत्र नहीं मिल रहे हैं. नवादा के 187 केंद्रों में मात्र 50 ही सक्रिय हैं.
-कुछेक जिलों की स्थिति बेहतर
हालांकि, सासाराम, नालंदा सहित कुछेक जिले में आम लोग इन केंद्रों का लाभ उठा रहे हैं. विगत विधानसभा चुनाव में निर्वाचन आयोग ने कई बूथों के मतदान का सीधा प्रसारण वसुधा केंद्रों की सहायता से किया. औसतन हर महीने वसुधा केंद्रों से 64 हजार लोग लाभ उठाते हैं.
वसुधा केंद्र पब्लिक -प्राइवेट-पार्टनरशिप के तहत काम कर रहा है. सरकार, प्राइवेट कंपनी व ग्रामीण उद्यमी के माध्यम से एक पंचायत या हर छह - सात गांव पर एक आइटी संसाधनों से लैस केंद्र की स्थापना की जानी है. केंद्र के संचालकों को यह अधिकार दिया गया है कि वे किसी भी सरकारी सेवा के लिए सेवा शुल्क वसूल सकें. राशि राज्य सरकार की ओर से निर्धारित की गयी है. सेवा शुल्क का एक हिस्सा वसुधा केंद्रों की स्थिति सुधारने पर खर्च किया जाता है.
-निगरानी व्यवस्था हो कारगर
वसुधा केंद्रों में निगरानी का अभाव है. कहने को हर जिले में डिस्ट्रिक्ट इ-गवर्नेस सोसाइटी काम करती है. इसके अध्यक्ष जिलाधिकारी या उपविकास आयुक्त होते हैं. एजेंसियों ने भी जिला मुख्यालय में अपना कार्यालय खोल रखा है. इसमें जिला प्रबंधक, एकाउंट प्रबंधक, आइटी इंजीनियर, सर्विस एक्सक्यूटिव सहित कुल छह कर्मी होते हैं. काम बढ़ा, तो हर 30 केंद्र पर एक एक्सक्यूटिव का प्रावधान है. विभाग के प्रमुख खुद समय-समय पर इसकी समीक्षा करते हैं, पर जमीनी स्तर पर यह उतना कारगर नहीं है. केंद्र के संचालकों की मानें, तो अगर कोई खराबी आ जाये, तो एजेंसी पहल नहीं करती है. इसमें सुधार तभी हो सकता है, जब एजेंसियों के कार्यकलापों पर नजर रखी जाये. समय-समय पर वसुधा केंद्रों के लाभुकों से फीडबैक लिया जाये. वैसे आइटी विभाग ने स्टेट परपस विकिल शुरू करने का निर्णय लिया है, जो पूरे प्रदेश में घूम-घूम कर वसुधा केंद्राें की स्थिति का जायजा लेंगे.
-तुरंत देख लिया मैट्रिक का रिजल्ट
सासाराम के ईश्वरचंद्र सिंह का बेटा मैट्रिक की परीक्षा में शामिल हुआ. रिजल्ट आने की सूचना मिली. पंचायत मोहद्दीगंज में स्थापित वसुधा केंद्र गये. बिहार बोर्ड की वेबसाइट पर रिजल्ट देख लिया. अपने जमाने को याद करते हुए ईश्वरचंद्र कहते हैं - हमें दूसरे दिन जिला मुख्यालय में जाकर अखबार खरीदने के बाद ही रिजल्ट की जानकारी मिली थी. वे कहते हैं कि अभी जो केंद्र खुले हैं, उसका लाभ ग्रामीणों को मिल रहा है. जाति, आय व आवासीय प्रमाणपत्र के लिए भी प्रखंड मुख्यालय का चक्कर नहीं काटना पड़ रहा है. अपने पंचायतों में ही स्थापित वसुधा केंद्र के माध्यम से लोग प्रमाणपत्रों के लिए आवेदन दे रहे हैं. तय अवधि में उन्हें प्रमाणपत्र बिना कोई परेशानी के प्रखंड मुख्यालय से मिल रहे हैं.
16 सौ रुपये दे कर सरकार हो जा रही निश्चिंत
राष्ट्रीय इ-शासन योजना के तहत केंद्र सरकार ने सितंबर, 2006 में इस योजना की शुरुआत की. बिहार को वसुधा केंद्र के लिए 80 करोड़ रुपये आवंटित किये गये. इसमें से 32 करोड़ रुपये राज्य सरकार ने खर्च किये. इस राशि में से हरेक केंद्र को सहायता के तौर पर औसतन 1500-1600 रुपये दिये जाते हैं. बाकी रकम बैंकों से कर्ज के रूप में मिलता है. शुरू में वसुधा केंद्रों से रेलवे, हवाई जहाज, पीडीएस कूपन आदि की सेवाएं मिलती थीं. लोक सेवा का अधिकार कानून आने के बाद जाति, आय व आवासीय आदि प्रमाणपत्र बनाये जाने लगे.
Monday, July 16, 2012
डाक्टर अब्दुल कलाम के विजन २०२०
सेवा में,
प्रभात खबर, बिहार
बिषय : वसुधा केंद्र के सम्बन्ध में !
महाशय,
डाक्टर अब्दुल कलाम के विजन २०२० से प्रेरित हो केंद्र
सरकार राज्य सरकार के साथ मिल कर रास्ट्रीय ई गोवार्नेंस योजना के तहत CSC
( कमान सर्विस सेंटर) की स्थापना देश के सभी पंचायतो तथा नगर निकाय के
वार्डो में सन २००७ में शुरुआत की ! CSC स्थापित करने की जिम्मेवारी PPP
(पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड के तहत देश में भिन्न - भिन्न कम्पनियों
को दिया गया ! CSC देश में एक प्रारूप में काम करता है , लेकिन राज्य
सरकारों ने इसका नाम अपने राज्यों में भिन्न - भिन्न रखा है! जैसे - बिहार
में वसुधा केंद्र , झारखण्ड में प्रज्ञा केंद्र असम में अरुणोदय, उत्तर
प्रदेश में जन सेवा केंद्र इत्यादि नमो से जाना जाता है ! पुरे देश में
करीब १००००० तथा बिहार के सभी पंचायतों में करीब ८४०० CSC स्थापित करने
का लक्ष्य रखा गया! जिसमे बिहार राज्य करीब ९५% वसुधा केन्द्रों को स्थापित
कर चूका है
* बिहार सरकार द्वारा सन २००७ में तिन कम्पनियों १. स्रेई सहज २. जूम
कम्युनिकशन तथा ३. सार्क के साथ राज्य के सभी पंचायतो में वसुधा केंद्र
स्थापित करने हेतु एक एम् यु एम् साइन किया ! इन कम्पनियों को SCA (सर्विस
सेंटर एजेंसी ) कहा जाता है, जिनकी जिम्मेवारी वसुधा केन्द्रों के संचालन
हेतु एवं अच्छे से रख रखाव करने की होती है ! तथा राज्य सरकार की स्वायत
एजेंसी BELTRON इसकी निगरानी तथा निर्देशित करने की काम करता है !
* बिहार के तीनो SCA में सबसे ज्यादा ५५६५ वसुधा केंद्र स्थापित करने की जिम्मेवारी स्रेई सहज कम्पनी को दिया गया है!
* स्रेई सहज द्वारा मार्जिन मनी के रूप में ३२०००
+ १२००० रुपया की DD वसुधा केंद्र संचालकों (VLE ) से लेकर दो लाप टॉप, एक
वेब कैमरा , कलर प्रिंटर, फोटो कैमरा, भी सेट, चेयर, टेबल, आपात उर्जा
उपकरण उपलब्ध किया गया !
* केंद्र स्थापित करने हेतु आवेदक का न्यूनतम योग्यता मैट्रिक उतीर्ण,तथा
एक 10x15 " का कमरा पंचायत के मुख्यालय ग्राम में होना अनिवार्य रखा गया
है.
* कंपनी द्वारा वसुधा संचालकों को वादा था की केंद्र खुलने
के ६ माह पश्चात् २०००० रु मासिक आमदनी केन्द्रों पर उपलब्ध होने वाले
सरकारी तथा गैर सरकारी सेवाओं को आम नागरिकों को उपलब्ध कराने पर प्राप्त
होगा !
* सरकारी सेवाओं में खास कर जाती, आय, निवास, जन्म-मृत्यु, चालक,
खाता - खतौनी इत्यादि प्रमाण पत्र , जन शिकायत, थर्ड पार्टी मोनिटरिंग,
बैंकिंग सेवा, शामिल है ( जिसे G2C की संज्ञा मिली है )जो सेवाएँ आज तक
वसुधा को नहीं मिला, हाल ही में इन सेवायों को नालंदा जिले में पिलोत
प्रोजेक्ट के तौर पर ऑनलाइन शुरू किया गया लेकिन ये दुर्भाग्य कहा जायेगा
की काम तो शुरू हो चूका लेकिन संचालकों को इन सेवाओं को आम जन को उपलब्ध
कराने के पश्चात् भुगतान की प्रक्रिया को काफी जटिल कर दिया गया ,या यूँ
कहे की कम्पनी के इशारे पर इस प्रक्रिया को अपनाया गया !
* पिछले डेड़ वर्षों से प्रखंड स्तर पे जन वितरण प्रणाली के कूपनों
की ऑनलाइन स्कान्निंग का काम वसुधा केन्द्रों द्वारा काफी कम दर (००.०४
पैसा / कूपन ) पर किया जा रहा है, जिसकी भुगतान आज तक राज्य सरकार द्वारा
नहीं किया गया ! जो खेद की बात है !
* समय - समय पे संचालकों द्वारा राज्य स्तर पे व्यापक धरना प्रदर्शन
तथा बेल्ट्रान के समक्ष भूख हड़ताल किया गया ! जिसको ले सरकार के आला
अधिकारी वसुधा को काम देने हेतु तैयार हो सबंधित काम को ऑनलाइन कराने हेतु
कई तरह के पत्रों से जिलाधिकारियों को निर्देश दिया ! लेकिन ये दुर्भाग्य
कहा जायेगा की उन जारी पत्रों के उपर कोई भी जिला पदाधिकारी ने गंभीरता
से ध्यान नहीं दिया ! जिसका दुष्परिणाम है की आज संचालक बेरोजगार बैठा !
* आज तक कोई भी ग्रामीण स्तरीय संचालक लाभ के बजाय नुकसान ज्यादा झेला
है, अगर थोरा बहुत लाभ प्राप्त भी हुआ है तो वो शहरी क्षेत्रों के
संचालकों को प्राप्त हुआ है, वो भी सरकारी सेवाओं से नहीं बल्कि प्राइवेट
सेवाओं को बेच कर हुआ है ! जैसे जीवन तथा वाहन बिमा पोलिसी, नेट मोबाइल
रिचार्ज, रेलवे टिकट इत्यादि बेच कर ! सिर्फ इन सेवाओं को बेचना ग्रामीण
संचालकों के लिए टेडी खीर है,
*
स्रेई सहज कम्पनी ने जो ऋण संचालकों को उपलब्ध करया था उस समय वादा था
की, सेवाओं के बिक्री के पश्चात् प्राप्त आय से प्रदत ऋण की किस्तों में
भरपाई करनी होगी! कम्पनी तथा सरकार को भालिभातीं मालूम है की वसुधा को कोई
भी सरकारी काम नहीं दिया गया, कोई आमदनी नहीं है, लेकिन हाल ही में स्रेई
सहज कम्पनी द्वारा उन सभी वसुधा संचालको को ऋण अदायगी की नोटिस भेजा गया
है ! श्रीमान ये सरासर अन्याय नहीं तो और क्या है की हमारे उज्जवल भविष्य
को कम्पनी और सरकार द्वारा झूठ बोल कर केंद्र लेने हेतु प्रेरित किया गया !
और अब न्यालय में खीचने की धमकी स्रेई सहज के बिहार हेड द्वारा दिया जा
रहा है ! आखिर हमें ये ऋण अपना घर बनाने हेतु तो नहीं दिया गया था ! जिस
कार्य हेतु दिया गया वो काम आज तक मुय्यस्सर नहीं हुआ ! काम मिले , आमदनी
हो तो संचालक क्यूँ ऋण की अदायगी नहीं करेगा?
*सरकार तथा कम्पनी के गलत नीतियों के कारन राज्य से अनेकों संचालक रोजगार
हेतु अन्यत्र पलायन कर चुके हैं, अब काम भी अगर मिलता है तो कम्पनी द्वारा
सभी प्रदात उपकरण बेकार की स्थिति में आ चूका है ! चुकी इन उपकरणों को मिले
करीब चार वर्ष हो चुके हैं ! अब काम भी मिले तो नया उपकरण हर हल में लगाना
अनिवार्य होगा जो संचालकों की वश की बात नही होगी ! जिसपे राज्य सरकार को
गंभीरता से सोचना होगा !
* सरकारी बाबु लोगो ने सर्कार के आदेशोपरांत कुछ सेवाओं को वसुधा को
देने हेतु आदेश तो जारी किया लेकिन जमीनी स्तर की सच्चाई यही है की जिला,
प्रखंड तथा पंचायत स्तर पर आदेशित सेवाओं की सुविधा को बहल नहीं किया गया !
चुकी इन्हें डर है की शायद इन निचे स्तर के बाबुओं की भ्रष्ट्राचार की पोल
पंचायत स्तर पर खुल सकती है, जिससे उन्हें परेशानी की सामना करना पड़ सकता
है ! उदाहरण :-
(१) सुचना प्रावैधिकी विभाग के सचिव का पत्र संख्या ५३८/ २१/ ०७/२००८
जो सभी प्रमंडलीय आयुक्त तथा सभी जिला पदाधिकारियों को भेजा गया, जो वसुधा
केन्द्रों को सरकारी काम उपलब्ध करने से सम्बंधित है !
(२)
ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव का पत्र संख्या १४७४१ / १२/११/ २००८
जो सभी जिला -प्रखंड वि. अंचल वि. पदाधिकारी, तथा उप विकास आयुक्त को
भेजा गया ! जो वसुधा केन्द्रों को सरकारी सेवा मुहैया करने हेतु सम्बंधित
है
(३) बेल्ट्रान का पत्र संख्या ३२६० / २१/०७/२०१० जो सभी जिलाधिकारियों
तथा तीनो SCA को लिखा गया ज. वि. प्र. की सेवा को उपलब्ध कराने के लिए
(४)
बेल्ट्रान का पत्र संख्या २८१०/ २५/०६/२०१० जो सभी जिलाधिकारी,
तथा प्रधान सचिव आई.टी. को लिखा गया वसुधा केन्द्रों को सेवा उपलब्ध कराने
हेतु
(५) सर्कार के प्रधान सचिव - सुचना प्रावैधिकी का पत्र संख्या
७१/२०१०/२३९ जो सभी प्रधान सचिव / सचिव/ जिलाधिकारी को लिखा गया वसुधा
केन्द्रों को नरेगा की ऑनलाइन डाटा एंट्री के कार्य करने के लिए
श्रीमान दुःख के साथ कहना पड रहा है की उपरोक्त पत्रों का धरातल पे कोई
परिणाम नहीं निकला! ये सभी पत्र सिर्फ और सिर्फ कार्यालय / विभागों की
फाइलों की शोभा बढ़ाने का काम भर किया ! उपरोक्त पत्रों से वसुधा केन्द्रों
को कुछ नहीं मिला जो आपके स्तर से जाँच का बिषय है !
हाँ एक चीज जरुर हुई है की राज्य सरकार को प्रिंट
मीडिया तथा मुख्य मंत्री के जगह - जगह दिए गए भाषणों से आम जनता को कभी कभी
मन बहलाने का मौका आवश्य मिला होगा !
जैसे " हम एक ऐसे
बिहार की परिकल्पना को साकार करेंगे जहाँ ग्रामीणों के लिए सरकारी
कार्यालय को उनके गाँव में शिफ्ट किया जायेगा! वह एक ऐतेहासिक दिन होगा जब
बाबुओं से परेशान आम आदमी गाँव के ही वसुधा केन्द्रों से तमाम सेवाएँ
प्राप्त करेगा" ( सन २००८ में रोहतास के डिहरी ऑन सोन के पड़ाव मैदान के एक भाषण में नितीश कुमार जी का उदगार)
ये वही स्रेई सहज कम्पनी है जो धोखे से वसुधा संचालकों की
करोड़ों रूपये वेब पोर्टल से गायब कर चुकी है, जिसकी सुचना मुख्य मंत्री
को समय समय पे जनता दरबार में आवेदन के माध्यम दी गयी है , लेकिन करवाई
नगण्य रहा !
हम सभी संचालक आपसे नम्र निवेदन करते हैं की आप शीघ्र इस विकराल समस्या की ओर अपना ध्यान आवश्य देंगे!
आपका विश्वासभाजन
कुमार रवि रंजन
प्रवक्ता
वसुधा केंद्र संचालक संघ - बिहार
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