विद्रोही स्वभाव,अन्याय से लड़ने की इच्छा, वसुधा केंद्र संचालक एवं लोगों की मदद करने में स्व:आनंद ! निरीहता, कुछ मांगना, झूठ बोलना और डर कर किसी के आगे सिर झुकना हमें पसंद नहीं ! ईश्वर अन्तिम समय तक इतनी शक्ति एवं सामर्थ्य दे, कि जरूरतमंदो के काम आता रहूँ , भूल से भी किसी का दिल न दुखाऊँ ! रुचियाँ - जिनका कोई न हो उनकी मदद करना,सामाजिक ढकोसलों और दिखावे से दूर, फोटोग्राफी , पढना और लिखना, जीवन को हँसना सिखाना, Kumar Ravi Ranjan ( Spoke person), CSCAssociation, Bihar- 9934060241
Monday, November 18, 2013
Tuesday, November 12, 2013
शक होता रहेगा........!
एक लड़का और लड़की साथ में खेल रहे थे. लड़के के पास बहुत सुंदर कंचे थे. लड़की के पास कुछ टॉफियां थीं.लड़के ने लड़की से कहा कि वह टॉफियों के बदले में अपने सारे कंचे लड़की को दे देगा. लड़की मान गई.लेकिन लड़के ने चुपके से सबसे खूबसूरत दो-तीन कंचे दबा लिए और बाकी कंचे लड़की को दे दिए. बदले में लड़की ने अपनी सारी टॉफियां लड़के को दे दीं.उस रात लड़की कंचों को निहारते हुए खुशी से सोई. लेकिन लड़का इसी सोच में डूबा रहा कि कहीं लड़की ने भी चालाकी करके उससे कुछ टॉफियां तो नहीं छुपा लीं!सीखः यदि तुम किसी रिश्ते में सौ-फीसदी ईमानदार नहीं रहोगे तो तुम्हें अपने साथी पर हमेशा शक होता रहेगा.
Monday, November 11, 2013
संसार के साथ व्यवहार
लाओ-त्ज़ु
ने एक बार मछली पकड़ना सीखने का निश्चय किया। उसने मछली पकड़ने की एक छड़ी
बनाई, उसमें डोरी और हुक लगाया। फ़िर वह उसमें चारा बांधकर नदी किनारे मछली
पकड़ने के लिए बैठ गया। कुछ समय बाद एक बड़ी मछली हुक में फंस गई। लाओ-त्ज़ु
इतने उत्साह में था की उसने छड़ी को पूरी ताक़त लगाकर खींचा। मछली ने भी
भागने के लिए पूरी ताक़त लगाई। फलतः छड़ी टूट गई और मछली भाग गई।
लाओ-त्ज़ु
ने दूसरी छड़ी बनाई और दोबारा मछली पकड़ने के लिए नदी किनारे गया। कुछ समय
बाद एक दूसरी बड़ी मछली हुक में फंस गई। लाओ-त्ज़ु ने इस बार इतनी धीरे-धीरे
छड़ी खींची कि वह मछली लाओ-त्ज़ु के हाथ से छड़ी छुडाकर भाग गई।
लाओ-त्ज़ु
ने तीसरी बार छड़ी बनाई और नदी किनारे आ गया। तीसरी मछली ने चारे में मुंह
मारा। इस बार लाओ-त्ज़ु ने उतनी ही ताक़त से छड़ी को ऊपर खींचा जितनी ताक़त
से मछली छड़ी को नीचे खींच रही थी। इस बार न छड़ी टूटी न मछली हाथ से गई।
मछली जब छड़ी को खींचते-खींचते थक गई तब लाओ-त्ज़ु ने आसानी से उसे पानी के
बाहर खींच लिया।
उस
दिन शाम को लाओ-त्ज़ु ने अपने शिष्यों से कहा - "आज मैंने संसार के साथ
व्यवहार करने के सिद्धांत का पता लगा लिया है। यह समान बलप्रयोग करने का
सिद्धांत है। जब यह संसार तुम्हें किसी ओर खींच रहा हो तब तुम समान
बलप्रयोग करते हुए दूसरी ओर जाओ। यदि तुम प्रचंड बल का प्रयोग करोगे तो तुम
नष्ट हो जाओगे, और यदि तुम क्षीण बल का प्रयोग करोगे तो यह संसार तुमको
नष्ट कर देगा।"
Sunday, November 10, 2013
:: प्रेरक प्रसंग :: किसान का गधा......!
:: प्रेरक प्रसंग :: किसान का गधा
वह गधा घंटों ज़ोर - ज़ोर से रोता रहा और किसान सुनता रहा और विचार करता
रहा कि उसे क्या करना चाहिऐ और क्या नहीं। अंततः उसने निर्णय लिया कि चूंकि
गधा काफी बूढा है,अतः उसे बचाने से कोई लाभ होने वाला नहीं था;और इसलिए
उसे कुएँ में ही दफना देना चाहिऐ। किसान ने अपने सभी पड़ोसियों को मदद के
लिए बुलाया। सभी ने एक-एक फावड़ा पकड़ा और कुएँ में मिट्टी डालनी शुरू कर दी।
जैसे ही गधे कि समझ में आया कि यह क्या हो रहा है ,वह और ज़ोर-ज़ोर से
चीख़ चीख़ कर रोने लगा । ...
और फिर ,अचानक वह आश्चर्यजनक रुप से
शांत हो गया। सब लोग चुपचाप कुएँ में मिट्टी डालते रहे। तभी किसान ने कुएँ
में झाँका तो वह आश्चर्य से सन्न रह गया। अपनी पीठ पर पड़ने वाले हर फावड़े
की मिट्टी के साथ वह गधा एक आश्चर्यजनक हरकत कर रहा था। वह हिल-हिल कर उस
मिट्टी को नीचे गिरा देता था और फिर एक कदम बढ़ाकर उस पर चढ़ जाता था।
जैसे-जैसे किसान तथा उसके पड़ोसी उस पर फावड़ों से मिट्टी गिराते वैसे -वैसे
वह हिल-हिल कर उस मिट्टी को गिरा देता और एस सीढी ऊपर चढ़ आता । जल्दी ही
सबको आश्चर्यचकित करते हुए वह गधा कुएँ के किनारे पर पहुंच गया और फिर
कूदकर बाहर भाग गया।
ध्यान रखो ,तुम्हारे जीवन में भी तुम पर बहुत तरह कि मिट्टी फेंकी जायेगी ,बहुत तरह कि गंदगी तुम पर गिरेगी। जैसे कि
,तुम्हे आगे बढ़ने से रोकने के लिए कोई बेकार में ही तुम्हारी आलोचना करेगा,कोई तुम्हारी सफलता से ईर्ष्या के कारण
तुम्हे बेकार में ही भला बुरा कहेगा।कोई तुमसे आगे निकलने के लिए ऐसे
रास्ते अपनाता हुआ दिखेगा जो तुम्हारे आदर्शों के विरुद्ध होंगे। ऐसे में
तुम्हे हतोत्साहित होकर कुएँ में ही नहीं पड़े रहना है बल्कि साहस के साथ
हिल-हिल कर हर तरह कि गंदगी को गिरा देना है और उससे सीख लेकर,उसे सीढ़ी
बनाकर,बिना अपने आदर्शों का त्याग किये अपने कदमों को आगे बढ़ाते जाना है।
अतः याद रखो !जीवन में सदा आगे बढ़ने के लिए
१)नकारात्मक विचारों को उनके
विपरीत सकारात्मक विचारों से
विस्थापित करते रहो।
२)आलोचनाओं से विचलित न
हो बल्कि उन्हें उपयोग में लाकर
अपनी उन्नति का मार्ग प्रशस्त करो
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